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अदालतों पर दबाव घटाने के लिए मध्यस्थता बेहतर समाधानों में एक : न्यायमूर्ति एस. के. कौल

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हैदराबाद, दो सितंबर (ए) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजय किशन कौल ने विवाद समाधान तंत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए शनिवार को कहा कि मध्यस्थता की प्रक्रिया वादकारियों की समस्याओं का एक व्यावहारिक समाधान है, क्योंकि देश में लंबित मामलों की संख्या बढ़ गई है।.

न्यायमूर्ति कौल ने यहां एनएएलएसएआर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के 20वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में कहा कि जैसे-जैसे मुकदमेबाजी बढ़ी है, अदालत पर मुकदमों की बढ़ती संख्या का दबाव घटाने के लिए वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तंत्र के माध्यम से विभिन्न तरीके ढूंढे गए हैं।.उन्होंने कहा, ‘यह मेरा विश्वास है और मुझे यही कहना चाहिए कि मध्यस्थता प्रक्रिया इस समस्या के बेहतर समाधानों में से एक है।

विश्वविद्यालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्होंने कानूनी शिक्षा में विकास पर कुछ विचार पेश किए और केस पद्धति, सुकराती संवाद (सवाल-जवाब) और कक्षा में अनुभवात्मक शिक्षा को शामिल करने जैसे निर्देश के विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करने के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने स्नातक छात्रों को अनुभवी गुरुओं से सीखने और सार्वजनिक चर्चाओं में अपने दिमाग खुले रखने की सलाह दी।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पी एस नरसिम्हा, तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और एनएएलएसएआर के कुलपति प्रोफेसर श्रीकृष्ण देव राव दीक्षांत समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे।

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