अहमदाबाद: पांच जुलाई (ए)।
यह घटना 20 जून को हुई, जब न्यायमूर्ति निर्जर एस देसाई एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस सुनवाई का एक वीडियो जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
तीन जुलाई को अपलोड किए गए इस आदेश में, उच्च न्यायालय की पीठ ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वे न्यायालय को ‘‘वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कार्यवाही में भाग लेने वाले अवज्ञाकारी वादियों को रोकने के तंत्र के बारे में सूचित करें, क्योंकि हमने देखा है कि इस तरह का अव्यवस्थित और अनियंत्रित व्यवहार अक्सर सामने आता है।’’
पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘रजिस्ट्री अवमाननाकर्ता को नोटिस जारी करेगी कि क्यों न उस पर न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2(सी) के तहत मुकदमा चलाया जाए और उसे दंडित किया जाए। दो सप्ताह की अवधि के बाद इस अवमानना कार्यवाही को सूचीबद्ध किया जाए।’’
पीठ ने कहा, ‘‘इस न्यायालय की छवि को धूमिल करने वाला उक्त वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया है तथा इसे तुरंत प्रतिबंधित और हटाया जाना चाहिए।’’