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अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों की जरूरत है, प्रशिक्षण की अवधि बढ़ाने का फैसला मनमाना नहीं : अदालत

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नयी दिल्ली, 30 मई (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न मौजूदा स्थितियों में अस्पतालों के ठीक से काम करने के लिए रेजिडेंट डॉक्टरों की सेवाएं अनिवार्य हैं और उनकी प्रशिक्षण की अवधि निर्धारित समय से अधिक बढ़ाने का अधिकारियों का फैसला प्रथम दृष्टया मनमाना या अनुचित नहीं हो सकता।

उच्च न्यायालय डीएनबी सुपर स्पेशिएलिटी पाठ्यक्रमों के कई चिकित्सकों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें चार मई, 2021 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इस अधिसूचना के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड (एनबीई) ने उनकी प्रशिक्षण की अवधि इसके समाप्त होने की निर्धारित तिथि से आगे बढ़ा दी थी।

चिकित्सकों की दलील है कि डीएनबी पाठ्यक्रम तीन साल का है और तीन महीने का अनिवार्य विस्तार स्वीकार्य है, जो उन्होंने पहले ही पूरा कर लिया है और दावा किया कि अधिकारियों के पास इस अवधि से ज्यादा पाठ्यक्रम को विस्तार देने का अधिकार नहीं है।

न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने कहा, “कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई परिस्थितियों को देखते हुए और जैसा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के 27 अप्रैल, 2021 के परामर्श में रेजिडेंसी बढ़ाने की जरूरत का उल्लेख किया गया है- जिसे याचिका में चुनौती नहीं दी गई है- इसे देखते हुए मैं अधिवक्ता सिद्धार्थ यादव के अंतरिम आदेश के अनुरोध को स्वीकार करने में असमर्थ हूं।”

अदालत ने एनएमसी के वकील टी सिंहदेव और एनबीई के वकील कीर्तिमान सिंह की दलीलों से सहमति जताई कि रेजिडेंट डॉक्टरों की उपलब्धता अस्पतालों के सही ढंग से काम करने के लिए अनिवार्य है।

अदालत ने कहा, “मौजूदा स्थिति में, प्रतिवादियों के फैसले को प्रथम दृष्टया मनमाना या अनुचित नहीं कहा जा सकता है।”

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