आजाद का त्यागपत्र हताशा और विश्वासघात का भाव देता है: संदीप दीक्षित

राष्ट्रीय
Spread the love
Facebook
Twitter
Linkedin
Pinterest
Whatsapp

नयी दिल्ली, 26 अगस्त (ए) कांग्रेस नेता और ‘जी 23’ में शामिल रहे पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने पार्टी से इस्तीफा देने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को पत्र लिखकर शुक्रवार को कहा कि उनका त्यागपत्र हताशा और विश्वासघात का भाव देता है।

दीक्षित आजाद के साथ उस समूह का हिस्सा थे जिसने अगस्त, 2020 में कांग्रेस के भीतर संगठनात्मक चुनाव और सक्रिय नेतृत्व की मांग करते हुए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था।

पूर्व सांसद दीक्षित ने आजाद को लिखे पत्र में कहा, ‘‘आपका पत्र, पढ़ने के बाद हताशा और दुर्भाग्यवश विश्वासघात का भाव देता है।’’

उन्होंने ‘जी 23’ के अतीत के कदमों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘हमने पार्टी के भीतर सुधार का बैनर उठाया था, विद्रोह का नहीं।’’

दीक्षित ने कहा, ‘‘मैंने पूरे मन औेर सहमति के साथ उस पत्र पर हस्ताक्षर किया था जो आपने कांग्रेस अध्यक्ष को लिखा था और मैं उस समूह का हिस्सा बना जिसे मीडिया के कुछ लोगों ने ‘जी 23’ कहा।’’

उनका कहना है, ‘‘उस पत्र में जो विषय उठाया गया था और जिस भावना के साथ हमने और अन्य लोगों ने इस पर हस्ताक्षर किये थे, वह कई तरह से इस विशाल राजनीतिक दल में जान डालने का मार्ग प्रशस्त करने वाला था…मेरी समझ से हमने सुधार का बैनर उठाया था, विद्रोह का नहीं।’’

दीक्षित ने पत्र में लिखा, ‘‘पार्टी छोड़ने से दुर्भाग्यवश उन नीतियों, व्यवस्था और व्यक्तियों को मजबूती मिलेगी जिनके चलते हमने पार्टी के भीतर सुधार के लिए पत्र लिखा था।’’ पूर्व सांसद ने कहा, ‘‘आजाद के बिना कांग्रेस और कमजोर होगी, लेकिन आज त्यागपत्र लिखने वाले गुलाम नबी आजाद वह नहीं हैं जिन्होंने कभी ‘जी 23’ का पत्र लिखा था।’’

गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया तथा नेतृत्व पर आंतरिक चुनाव के नाम पर पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर ‘धोखा’ करने का आरोप लगाया ।

आजाद के इस्तीफे को, पहले से ही समस्याओं का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी पर एक और आघात माना जा रहा है । पूर्व में कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं जिसमें कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार आदि शामिल हैं ।

Facebook
Twitter
Whatsapp