नयी दिल्ली: 30 मई (ए) निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने शुक्रवार को कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन को मुख्यमंत्री पद के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव या किसी अन्य नेता का चेहरा घोषित किए बिना बिहार विधानसभा चुनाव में उतरना चाहिए।बिहार के पूर्णिया से लोकसभा सदस्य यादव ने ‘ दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि कांग्रेस को इस विधानसभा चुनाव में कुल 243 सीटों में से कम से कम 100 सीटों पर लड़ना चाहिए और अपने हिस्से में परंपरागत वोट वाली सीटें लेनी चाहिए।
बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव संभावित हैं।
राज्य में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सामने ‘इंडियन नेशनल डेवलमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) है जिसे राज्य में महागठबंधन के नाम से भी जाना जाता है। इस गठजोड़ में राजद, कांग्रेस, वाम दल और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल हैं।
पप्पू यादव पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे लेकिन पूर्णिया से राजद ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था जिसके बाद उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा था। हालांकि वह विजयी हुए थे। यादव खुद को कांग्रेस से संबद्ध सांसद के तौर पर पेश करते हैं।
उन्होंने कहा कि वह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा को अपना नेता मानते हैं और जब तक कांग्रेस उन्हें अपने से खुद दूर न कर दे, तब तक इस पार्टी के साथ जुड़े रहेंगे।
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव के लिए उनकी भूमिका तय क्यों नहीं कर पा रही है, तो यादव ने कहा, ‘‘यह आप कांग्रेस से पूछिए। वो राजा है, मैं रंक हूं। मेरे नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हैं। मैंने झारखंड और दिल्ली में कांग्रेस के लिए काम किया है, बिहार में लगातार काम कर रहा हूं। अब कांग्रेस को (मेरी भूमिका) तय करने दीजिए।’’
इस सवाल पर किया कि क्या राजद के दबाव में कांग्रेस उनका इस्तेमाल नहीं कर रही है, तो पप्पू यादव ने कहा कि कांग्रेस किसी के दबाव में काम नहीं करती, मजबूरियां और परिस्थितियां अलग बात है।
लोकसभा सदस्य ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन को मुख्यमंत्री पद के लिए बिना चेहरा घोषित किए चुनाव लड़ना चाहिए।
उनका कहना था, ‘चुनाव के बाद जिसका नाम नेतृत्व मिलकर तय करे, वह मुख्यमंत्री बने। लेकिन अभी हमें राहुल गांधी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ना चाहिए।’
यह पूछे जाने पर कि क्या तेजस्वी यादव या किसी अन्य चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ना चाहिए तो उन्होंने कहा, ‘मेरे ख्याल से नहीं। यह मैं व्यक्तिगत रूप से कह रहा हूं।’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस चुनाव में राहुल गांधी का चेहरा आगे होना चाहिए।
पप्पू यादव ने कहा, ‘राहुल गांधी जी जिस तरह से आरक्षण, जातीय जनगणना, किसान, रोजगार के लिए लड़ रहे हैं, ओबीसी की बात कर रहे हैं, हाथ में संविधान लिए हुए हैं, मनुस्मृति को खत्म करने की बात कर रहे हैं, तो लग रहा है कि पेरियार आ गए हैं, ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले आ गए हैं।’
उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी से एससी, एसटी और गरीब का भावनात्मक जुड़ाव बढ़ा है।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।
पिछले विधानसभा में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी और सिर्फ 19 पर जीत हासिल कर सकी थी।
यादव के मुताबिक, वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 में से 60 सीटें तो ऐसी दी गई थीं जहां कभी राजद नहीं जीती थी।
उन्होंने कहा, ‘उन सीटों पर अब राजद लड़े। राजद क्यों नहीं लड़ती? इस बार पिछली बार की तरह नहीं होगा। कांग्रेस नेतृत्व का यह प्रयास होना चाहिए कि पार्टी को अपने परंपरागत वोट और क्षेत्र वाली सीटें मिलें।’
पप्पू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत को लेकर हो रही चर्चा की पृष्ठभूमि में कहा, ‘मैं नीतीश कुमार जी का बहुत सम्मान करता हूं। वह अपने विवेक से निर्णय लेंगे, सूरज को दीया दिखाने की बात नहीं करूंगा, लेकिन उन्हें अब इस बारे (राजनीति में सक्रिय भूमिका से अलग होने के) में विचार करना चाहिए।’
उन्होंने दावा किया कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का बिहार चुनाव में कोई असर नहीं होगा क्योंकि यह पार्टी सिर्फ कॉरपोरेट के पैसे की मदद से खड़ी की गई है और इसका कोई सामाजिक आधार नहीं है।
उन्होंने किशोर पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वह पहले नीतीश जी को पिता कहते थे, लेकिन अब उन्हें ही गाली दे रहे हैं। पहले उन्हें नीतीश जी ने भगाया, फिर जगनमोहन रेड्डी ने भगाया। कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में खाट रैली किया और कहां पहुंचा दिया… यह व्यक्ति नेता नहीं है।’’
यादव ने यह दावा भी किया कि भाजपा को बिहार में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का कोई चुनावी लाभ नहीं मिलने वाला है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी असर नहीं होगा।