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चुनावों से पूर्व ईडी को ‘पीछे लगाना’ अलोकतांत्रिक : आरबीआई के पूर्व गवर्नर राजन

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जयपुर: एक फरवरी(ए) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि चुनावों से पूर्व प्रवर्तन निदेशालय को ‘पीछे लगाना’ गलत और ‘‘अलोकतांत्रिक’’ है तथा इससे न सिर्फ नेताओं बल्कि हर किसी को परेशान होना चाहिए।

प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने बुधवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद धन शोधन के आरोपों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रमुख हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया।जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) के उद्घाटन के पहले दिन यहां एक सत्र में राजन ने कहा कि यह सोचना कि वे सिर्फ ‘कुछ राजनेताओं को सलाखों के पीछे डाल रहे हैं’ गलत है, क्योंकि जब विपक्षी नेताओं को चुनने की बात आती है तो अंततः जनता के पास कोई विकल्प नहीं बचता।

उन्होने कहा, ‘‘ यदि विपक्षी दलों के नेताओं को सलाखों के पीछे डाल दिया गया है तो आपके पास क्या चुनाव रहेगा? अगर आपके पास कोई विकल्प नहीं बचता है, तो यह केवल नेताओं का मुद्दा नहीं है। हर किसी के लिए यह मुद्दा है। इसलिए चुनावों से पहले ईडी को खुला छोड़ना गलत और अलोकतांत्रिक है।’’

अपनी नई किताब ‘ब्रेकिंग दी मोल्ड : रिइमेजिनिंग इंडियाज इकोनॉमिक फ्यूचर’ का जिक्र करते हुए पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जब बात आगामी सेक्टर की आती है जहां ‘ शोध, सृजनात्मकता और नए विचारों’ की जरूरत होती है तो ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र ‘‘बहुत महत्वपूर्ण ’’हो जाते हैं । यह किताब उन्होंने अर्थशास्त्री रोहित लांबा के साथ मिलकर लिखी है।

राजन (60) ने ‘विकेंद्रीकरण’ और ‘प्रत्यक्ष लाभांतरण तथा मुफ्त सौगातों’ पर मानसिकता बदलने की जरूरत को रेखांकित किया जिनका इस्तेमाल राजनीतिक दल और ‘‘संकीर्ण सोच’’ के कारण कर रहे हैं।

उन्होंने केरल, तमिलनाडु और केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली का उदाहरण दिया जहां स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सेक्टरों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने इसका श्रेय इन राज्यों में हो रहे ‘थोड़े से विकेंद्रीकरण’’ को दिया।

राजन ने कहा, ‘‘ मैंने अपनी किताब में भी यह लिखा है कि हमें विकेंद्रीकरण की जरूरत है, केंद्र से राज्यों की ओर, राज्यों से नगर निगमों और पंचायतों की ओर। मेरा विश्वास है कि इससे एक नए आंदोलन का जन्म होगा।’’

‘विश्व का सबसे बड़ा साहित्य उत्सव ’ कहे जाने वाले पांच दिवसीय जेएलएफ में इस बार विश्व के कुछ सर्वश्रेष्ठ विचारक, लेखक और वक्ता भाग ले रहे हैं।

विभिन्न देशों के 550 वक्ताओं और कलाकारों में पॉल लिंच, हर्नान डियाज़, बेन मैकिनटायर, बोनी गार्मस, रिचर्ड उस्मान, पीटर फ्रैंकोपन, कॉलिन थब्रोन, मैरी बियर्ड, काई बर्ड, केटी कितामुरा, मोनिका अली, निकोलस शेक्सपियर, डेमन गलगुट शामिल हैं।

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