नयी दिल्ली: नौ अक्टूबर (ए) राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में बृहस्पतिवार को चांदी की कीमतें 6,000 रुपये बढ़कर 1,63,000 रुपये प्रति किलोग्राम के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गईं। विदेशी बाजारों में पहली बार चांदी 50 डॉलर प्रति औंस के स्तर को छू गई।
विश्लेषकों ने कहा कि मजबूत औद्योगिक मांग, भू-राजनीतिक, आर्थिक अनिश्चितताओं और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती उम्मीदों ने चांदी की मांग को बढ़ावा दिया है।
एक सप्ताह में दूसरी बार चांदी में इतनी तेज उछाल देखा गया। छह अक्टूबर को यह 7,400 रुपये चढ़कर 1,57,400 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, बुधवार को चांदी 1,57,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
स्थानीय सर्राफा बाजार में, 99.9 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना बृहस्पतिवार को क्रमशः 1,26,600 रुपये प्रति 10 ग्राम और 1,26,000 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर अपरिवर्तित रहा।
वैश्विक स्तर पर, हाजिर सोना मामूली गिरावट के साथ 4,039.26 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था।
हाजिर बाजारों में चांदी दो प्रतिशत से अधिक बढ़कर पहली बार 50 डॉलर प्रति औंस के महत्वपूर्ण स्तर को पार कर गई।
रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक जिगर त्रिवेदी ने कहा, ‘‘बढ़ती राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं और अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती पर दांव लगाने से सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ने से चांदी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई।’’
निवेशक अमेरिकी सरकार के वित्तपोषण की दिक्कतों के कारण कुछ विभागों का कामकाज ठप होने (शटडाऊन) के प्रभावों पर विचार कर रहे हैं, जिसने आर्थिक परिदृश्य को धुंधला कर दिया है और फेडरल रिजर्व के नीतिगत निर्णयों के लिए महत्वपूर्ण प्रमुख आंकड़ों के जारी होने में देरी की है।
पीएल वेल्थ के उत्पाद एवं पारिवारिक कार्यालय प्रमुख राजकुमार सुब्रमण्यन ने कहा, ‘‘चांदी का मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण 50 डॉलर प्रति औंस की सीमा को पार करना कीमती धातु बाजारों के लिए एक निर्णायक क्षण है।’’
सुब्रमण्यन ने कहा, ‘‘चांदी ने इस साल अबतक 72 प्रतिशत लाभ प्रदान किया है, जबकि सोने ने 54 प्रतिशत लाभ दिया है।’’
इस बीच, बाजारों को फ्रांस में नए सिरे से राजनीतिक उथल-पुथल और जापान में नेतृत्व परिवर्तन का सामना करना पड़ा। इसके अतिरिक्त, तंग भौतिक बाजार ने भी चांदी की कीमतों को सहारा दिया, जिसे सौर और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों से मजबूत औद्योगिक मांग का समर्थन मिला। सिल्वर इंस्टिट्यूट ने वर्ष 2025 में लगातार पांचवें वर्ष वैश्विक आपूर्ति घाटे का अनुमान लगाया है।