देश भर में 25 करोड़ कामगारों की बुधवार को हड़ताल, किसान संगठन भी समर्थन में उतरे

राष्ट्रीय
Spread the love

नयी दिल्ली: आठ जुलाई (ए) केंद्रीय और क्षेत्रीय श्रमिक संगठनों से जुड़े 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी बुधवार को नए श्रम कानूनों और निजीकरण के विरोध में देश भर में हड़ताल पर जाएंगे। कर्मचारियों की हड़ताल से बैंकिंग, डाक और अन्य सेवाओं में व्यवधान पैदा होने की आशंका है।

श्रमिक संगठनों ने न्यूनतम मासिक वेतन 26,000 रुपये करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने जैसी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से देशव्यापी हड़ताल पर जाने की घोषणा की है।एक श्रमिक संगठन के पदाधिकारी ने मंगलवार को कहा कि आम हड़ताल से बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण जैसे क्षेत्रों में सेवाएं बाधित हो सकती हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और नरेगा संघर्ष मोर्चा जैसे क्षेत्रीय संगठनों ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है।

सीटू, इंटक और एटक जैसे केंद्रीय श्रमिक संगठन चार श्रम संहिताओं को हटाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण, ठेका व्यवस्था खत्म करने, न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करने के साथ ही किसान संगठनों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और ऋण माफी की मांग पर जोर दे रहे हैं।

हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए आम हड़ताल में हिस्सा नहीं लेने की बात कही है।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के राष्ट्रीय सचिव ए आर सिंधु ने कहा कि संगठित और असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों सहित लगभग 25 करोड़ श्रमिकों के आम हड़ताल में भाग लेने की संभावना है।

सिंधु ने पीटीआई- से कहा, ‘‘इस दौरान औद्योगिक क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे और बैंकिंग, डाक सेवाएं एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों जैसी सेवाएं बंद होने की संभावना है।’’