नयी दिल्ली: 22 जुलाई (ए)
आमतौर पर, किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति के हटने पर उनकी प्रशंसा की जाती है लेकिन सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से ऐसा कुछ नहीं था, जो इस बात का संकेत है कि शायद सरकार उनके हटने से खुश है। हालांकि विपक्ष की ओर से उनके बारे में अच्छे शब्द कहे गए। विपक्षी सदस्यों ने पिछले साल उनके कथित पक्षपात को लेकर उन्हें पद से हटाने के लिए एक नोटिस पर हस्ताक्षर किए थे।
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में यह कयास लगाया कि दोपहर एक बजे से शाम 4.30 बजे के बीच कुछ गंभीर जरूर हुआ होगा, जिसकी वजह से नड्डा और रीजीजू ‘‘जानबूझकर’’ कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने दावा किया कि स्वाभाविक है कि यह बात धनखड़ को बिल्कुल पसंद नहीं आई होगी।
नड्डा ने संवाददाताओं से कहा कि वे दोनों आधिकारिक कामकाज में व्यस्त थे और उन्होंने राज्यसभा सभापति कार्यालय को इस बारे में सूचित कर दिया था।
कुछ भाजपा सदस्यों ने धनखड़ के उस फैसले की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को शून्यकाल के दौरान ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार पर तीखा हमला करने की अनुमति दी थी, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन (राजग) पहले ही इस मुद्दे पर चर्चा की इच्छा व्यक्त कर चुका था।
सोमवार रात 9.25 बजे, धनखड़ (74) ने ‘‘स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने’’ के लिए इस्तीफे की घोषणा की थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके इस्तीफे पर एक संक्षिप्त पोस्ट किया। हालांकि, मंत्रियों या सत्तारूढ़ गठबंधन के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कोई टिप्पणी करने से परहेज किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।’’
लंबे समय से धनखड़ के कटु आलोचक रहे विपक्षी सांसद कपिल सिब्बल ने उन्हें एक राष्ट्रवादी और देशभक्त बताया।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वह चाहते हैं कि विपक्ष और सरकार मिलकर दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए काम करें।
कई नेताओं का मानना है कि धनखड़ और सरकार के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे, लेकिन इन मतभेदों के कारणों पर बहुत कम स्पष्टता है।