नाबालिग बेटे का यौन शोषण करने वाले व्यक्ति को 10 साल कैद की सजा अदालत ने रखी बरकरार

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, तीन नवंबर (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने चार साल के बेटे का यौन शोषण करने के लिए एक व्यक्ति की दोषसिद्धि और 10 साल की सजा को बरकरार रखा है और कहा है कि यह अपराध न किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ है, बल्कि परिवार तथा समाज के ताने-बाने के खिलाफ है।.

न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन ने शुक्रवार को जारी एक आदेश में, यौन उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दोषसिद्धि और सजा के निचली अदालत के आदेशों के खिलाफ पिता की अपील खारिज कर दी और कहा कि अपीलकर्ता के अपराध को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि पिता पर अपने पुत्र की रक्षा करने की सामाजिक, पारिवारिक और नैतिक जिम्मेदारी होती है।अदालत ने कहा, ‘‘यह अपराध न केवल किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ, बल्कि समाज और परिवार के खिलाफ भी है।’

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के यह साबित कर दिया है कि व्यक्ति ने अपने बेटे पर गंभीर यौन हमला किया था।

आरोपी व्यक्ति ने अदालत से आग्रह किया कि उसे सजा सुनाते समय नरम रुख अपनाया जाए क्योंकि वह समाज के निचले तबके से संबद्ध है और मजदूर होने के कारण उसके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है।

हालांकि, न्यायमूर्ति जैन ने कहा कि बाल यौन शोषण के आरोपी व्यक्ति को उसकी सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमि या घरेलू जिम्मेदारियों के बावजूद पर्याप्त सजा देना अदालत का पुनीत कर्तव्य है।

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