न्यायालय ने महिला चिकित्सक की तस्वीरें खींचने के आरोपी की सेवा बहाल करने का फैसला बरकरार रखा

राष्ट्रीय
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नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने नहाते हुए एक महिला चिकित्सक की तस्वीरें खींचने के आरोपी एवं सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कांस्टेबल की बर्खास्तगी को रद्द करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है।.

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र और बीएसएफ प्रशासन द्वारा दायर अपील खारिज कर दी, जिसमें उच्च न्यायालय के फरवरी 2013 के फैसले को चुनौती दी गई थी।.

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि कांस्टेबल कुछ खास अनुवर्ती लाभ पाने का हकदार होगा।

अपीलार्थी ने शीर्ष न्यायालय में उच्च न्यायालय के नवंबर 2013 के आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसने फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करने वाली अर्जी खारिज कर दी थी।

पीठ ने मंगलवार को सुनाये गये अपने फैसले में कहा कि उपरोक्त चर्चा के आलोक में, और यह भी ध्यान में रखते हुए कि दोषी की दलील दर्ज करने संबंधी कार्यवाही के लिखित विवरण में मूल याचिकाकर्ता (कांस्टेबल) के हस्ताक्षर नहीं हैं, ‘‘हमारा मानना है कि उच्च न्यायालय ने मूल याचिकाकर्ता (कांस्टेबल) की बर्खास्तगी को अनुचित और रद्द करने योग्य पाया।’

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि कांस्टेबल कुछ खास अनुवर्ती लाभ पाने का हकदार होगा।

अपीलार्थी ने शीर्ष न्यायालय में उच्च न्यायालय के नवंबर 2013 के आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसने फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करने वाली अर्जी खारिज कर दी थी।

पीठ ने मंगलवार को सुनाये गये अपने फैसले में कहा कि उपरोक्त चर्चा के आलोक में, और यह भी ध्यान में रखते हुए कि दोषी की दलील दर्ज करने संबंधी कार्यवाही के लिखित विवरण में मूल याचिकाकर्ता (कांस्टेबल) के हस्ताक्षर नहीं हैं, ‘‘हमारा मानना है कि उच्च न्यायालय ने मूल याचिकाकर्ता (कांस्टेबल) की बर्खास्तगी को अनुचित और रद्द करने योग्य पाया।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हमारे क्षेत्राधिकार के तहत हस्तक्षेप करने के लिए इसे एक उपयुक्त मामला नहीं पाते हैं।’’

पीठ ने कहा कि व्यक्ति बीएसएफ में कांस्टेबल (जनरल ड्यूटी) था और उसके खिलाफ यह मामला है कि जब वह एक महिला चिकित्सक के सुरक्षाकर्मी के रूप में तैनात था, उसने जून 2005 में (चिकित्सक के) नहाने के दौरान उनकी तस्वीरें खींची।

शीर्ष न्यायालय ने कांस्टेबल के खिलाफ इन आरोपों का उल्लेख किया कि महिला चिकित्सक ने उससे उसके आवास से जाने को कहा था क्योंकि उन्हें (चिकित्सक को) नहाना था और जब वह नहा रही थीं, तब उन्होंने पाया कि उनकी बाथरूम की खिड़की के जरिये तस्वीरें खींची जा रही है। इसके बाद चिकित्सक ने शोर मचाया।

पीठ ने कहा, ‘‘…किसी ने भी उसे (कांस्टेबल को) तस्वीरें खींचते नहीं देखा था और महिला चिकित्सक ने भी मूल याचिकाकर्ता को दोषारोपित नहीं किया, हालांकि उसे मूल याचिकाकर्ता पर संदेह हुआ होगा

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