प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने अनंत सिंह की गिरफ्तारी पर कहा कि राज्य में कानून का राज स्थापित है और पुलिस को न्याय सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।
उन्होंने कहा, ‘‘कानून अपना काम कर रहा है। अदालत इन सब पर बारीकी से नजर रखती है और अंततः वही उचित निर्णय लेती है।’’
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘तेजस्वी यादव जानते हैं कि उनके अधिकांश नेता अपराधियों को संरक्षण देने वाले लोग हैं। वर्ष 1990 से 2005 तक के जंगलराज में अपराधियों को हर जगह शरण मिली। नरसंहार, बलात्कार, हत्या और डकैती जैसे अपराध करने वाले लोग राजद के मंत्रियों के घरों में शरण लेते थे। अपराधियों को संरक्षण देना, परिवारवाद करना और गरीबों की जमीन हड़पना राजद के स्वभाव में शामिल है।’’
वहीं, केंद्रीय मंत्री एवं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा, ‘‘अगर हमारी सरकार अपराधियों को संरक्षण देती, तो कल रात की कार्रवाई नहीं हुई होती। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा कहते हैं कि हम न किसी को फंसाते हैं, न किसी को बचाते हैं। यह गिरफ्तारी न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है और इसमें किसी भी तरह के पक्षपात की गुंजाइश नहीं है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार इंतजार नहीं करती तथा जैसे ही तथ्य और सबूत मिलते हैं, तुरंत कार्रवाई होती है। उन्होंने कहा कि राजग सरकार में न्याय में देरी नहीं होती, सख्त से सख्त सजा दी जाती है।
इस बीच, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद मीसा भारती ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘मोकामा की पूरी घटना लोगों ने देखी। अनंत सिंह के 60 गाड़ियों के काफिले ने बाजार में शक्ति प्रदर्शन किया। यह कार्रवाई बिहार सरकार की ओर से नहीं, बल्कि जनता और निर्वाचन आयोग के दबाव में की गई है।’’
उन्होंने कहा कि अगर सरकार में सचमुच कानून का राज होता, तो यह कार्रवाई बहुत पहले हो जाती, न कि तब, जब जनता आक्रोशित हुई और विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू किए।
वहीं, राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इसे ‘खानापूर्ति करने वाली गिरफ्तारी’ करार देते हुए दावा किया कि जब सरकार की फजीहत होने लगी, तब प्रशासन हरकत में आया।
उन्होंने कहा, ‘‘तेजस्वी यादव लगातार सवाल पूछ रहे थे कि मोकामा गोलीकांड पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। यह गिरफ्तारी देरी से हुई है, जिससे साफ है कि सरकार ने केवल दबाव में आकर कदम उठाया।’’
उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि चुनाव के समय सरकारी निष्पक्षता पर भी संदेह पैदा करती है
