नयी दिल्ली: 14 नवंबर (ए)
प्रधानमंत्री ने बिहार में 13 चुनावी सभाओं को संबोधित किया और पटना में एक विशाल रोड शो किया तथा इस दौरान ‘बिहारी अस्मिता’ के मुद्दे को जोरशोर से उठाया, छठ पूजा जैसी परंपराओं का उत्सव मनाया और राजद-कांग्रेस गठबंधन पर ‘घुसपैठियों के प्रति नरम रुख’ रखने व सत्ता में रहने के दौरान जनता के पैसे से मुनाफा कमाने जैसे आरोप भी लगाए। चुनावों में कहीं न कहीं इन मुद्दों का भी लाभ राजग को मिला।
प्रधानमंत्री मोदी ने राजग के घटक दलों के साथ नियमित संवाद रखा और सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद उनके बीच मतभेदों को दूर करने का संदेश भी दिया।
प्रधानमंत्री की चुनावी रैलियों में एक विषय प्रमुखता से छाया रहा, जिसमें वह पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के नेतृत्व में राजद शासन के दौरान जनता को ‘जंगल राज’ की याद दिलाना नहीं भूलते थे। ऐसा करके उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि राज्य के युवा तेजस्वी यादव द्वारा किए गए वादों से प्रभावित न हों।
उन्होंने परिवार के बुजुर्गों से आग्रह किया कि वे उस युवा पीढ़ी को ‘जंगल राज’ के कथित खौफनाक दौर के बारे में बताएं, जिन्होंने 2005 से सत्ता में रहे नीतीश कुमार को केवल मुख्यमंत्री के रूप में देखा है।
भाजपा ने छठ पर्व सहित बिहार की विभिन्न परंपराओं को उत्सव का स्वरूप दिया तो 6 नवंबर को चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले मोदी ने भी दिल्ली में छठ पूजा में शामिल होकर एक संदेश दिया। मोदी ने पूजा में उनके शामिल होने को ‘नाटक’ करार देने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा था, ‘‘कांग्रेस के नामदार ने छठी मैया की भक्ति को ‘ड्रामा’ कहा। वे कभी भी भगवान श्री राम के दर्शन करने के लिए अयोध्या नहीं जाते। मैं भगवान राम के प्रति उनकी नापसंदगी को समझता हूं। लेकिन वे कम से कम निषाद राज, शबरी माता और महर्षि वाल्मीकि को समर्पित मंदिरों में मत्था तो टेक ही सकते हैं। ऐसा करने में उनकी अनिच्छा केवल दलितों और पिछड़े वर्गों के प्रति उनकी नफरत को दर्शाती है।’’
प्रधानमंत्री ने 24 अक्टूबर को समस्तीपुर में एक रैली के साथ प्रचार अभियान शुरू किया था, जो समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की जन्मस्थली है। राजग सरकार द्वारा कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।
मोदी ने 30 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर और छपरा में चुनावी सभाओं को संबोधित किया और इसके बाद नवादा और आरा में जनसभाएं कीं।
उन्होंने 3 नवंबर को कटिहार और सहरसा, 6 नवंबर को भागलपुर और अररिया में, 7 नवंबर को भभुआ और औरंगाबाद में और 8 नवंबर को बेट्टैया और सीतामढ़ी में जनसभाओं को संबोधित किया।
उन्होंने ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के माध्यम से पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ भी संवाद किया और उनसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि राज्य के लोग राज्य और केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं से अवगत हों।
बिहार ने पिछले 2014, 2019 और 2024 में लोकसभा चुनावों में और 2020 तथा 2025 के विधानसभा चुनावों में मोदी पर भरोसा जताया था।
