नयी दिल्ली: 16 जून (ए)।
न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने कहा कि तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सात अप्रैल को धाम को जमानत देने से इनकार कर दिया था और उन्हें जेल में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
धाम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनके मुवक्किल 11 महीने से जेल में हैं और उनकी नियमित जमानत याचिका फरवरी 2025 से दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम याचिकाकर्ता के हथकंडे से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हैं। आपकी एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) को इस अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया था। अब आप छुट्टियों के दौरान उसी मामले में दोबारा राहत पाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे पहले ही खारिज किया जा चुका है।’’
इसके बाद रोहतगी ने याचिका वापस ले ली।
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2,700 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में धन शोधन रोधी कानून के तहत दिवालिया ऑटोमोटिव उपकरण निर्माण कंपनी एमटेक समूह की 550 करोड़ रुपये से अधिक की नयी संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क की हैं।
ईडी ने एक बयान में कहा कि एमटेक ऑटो लिमिटेड, एआरजी लिमिटेड, एसीआईएल लिमिटेड, मेटालिस्ट फोर्जिंग लिमिटेड, कास्टेक्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और एमटेक समूह के प्रवर्तक अरविंद धाम के अलावा कुछ अन्य के खिलाफ कार्रवाई की गई। पिछले साल सितंबर में इस मामले में एजेंसी ने 5,115.31 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की थीं।
ईडी ने 27 फरवरी, 2024 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपनी जांच शुरू की। ईडी ने पिछले साल जुलाई में धाम को गिरफ्तार किया और बाद में सितंबर में उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।