सिंह और बेलौसोव ने बृहस्पतिवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक की।
बैठक में मौजूदा भू-राजनीतिक घटनाक्रम, सीमा पार आतंकवाद और भारत-रूस रक्षा सहयोग समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में आयोजित इस वार्ता को दोनों देशों के बीच सबसे महत्वपूर्ण वार्ताओं में से एक बताया गया, जिसमें मंत्रियों ने रक्षा उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता पर गहन चर्चा की, विशेष रूप से वायु रक्षा, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, आधुनिक क्षमताओं और हवाई प्लेटफार्मों के उन्नयन जैसी महत्वपूर्ण वस्तुओं में।
रूसी रक्षा मंत्री ने भारत-रूस के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों की मजबूती को दोहराया और इसे समय की कसौटी पर खरा उतरा साझेदारी बताया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले पर भारत के साथ रूस की एकजुटता भी व्यक्त की और इसे जघन्य और कायरतापूर्ण कृत्य बताया।
बैठक के मुख्य बिंदुओं में एस-400 वायु रक्षा प्रणाली, एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के उन्नयन, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली और अन्य उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों जैसे महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर की शीघ्र आपूर्ति पर चर्चा शामिल थी। दोनों पक्षों ने संयुक्त उत्पादन, रक्षा प्लेटफार्मों के आधुनिकीकरण और रणनीतिक सहयोग को बढ़ाने के अवसरों की भी खोज की।
बैठक में भारत-रूस रक्षा संबंधों की रणनीतिक गहराई तथा उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के प्रति साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।