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लखनऊ विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने स्मारकीय सिक्के और डाक टिकट का विमोचन किया

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लखनऊ,25 नवम्बर एएनएस। लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधित किया । इस मौके पर उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय परिवार को 100 वर्ष पूरा होने पर हार्दिक शुभकामनाएं। 100 वर्ष का समय सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है। इसके साथ अपार उपलब्धियों का एक जीता जागता इतिहास जुड़ा है। लखनऊ यूनिवर्सिटी से इतने सारे नाम निकले हैं कि सबके नाम लेना संभव नहीं है। मैं उन सभी का वंदन करता हूं। इस मौके पर उन्होंने स्मारकीय सिक्के और डाक टिकट का भी विनोचन किया। पीएम ने कहा विश्वविद्यालय को अपनी शैक्षणिक सीमाओं के अंतर्गत आने वाले जिलों में स्थानीय कौशल, स्थानीय उत्पादों से संबंधित पाठ्यक्रमों और कौशल विकास का विश्लेषण करना चाहिए। यह जरूरी है और इससे काफी लाभ होगा। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि सौ साल की यात्रा में अनेक लोगों ने अनेक तरह से योगदान किया है। 100 साल की इस यात्रा में यहां से निकले व्यक्तित्व राष्ट्रपति पद पर पहुंचे। राज्यपाल बने। विज्ञान का क्षेत्र हो या न्याय का, राजनीतिक हो या प्रशासनिक, शैक्षणिक हो या सांस्कृतिक या फिर खेल का क्षेत्र, हर क्षेत्र की प्रतिभाओं को लखनऊ विश्वविद्यालय ने संवारा है। पीएम मोदी ने कहा कि

आज हम देख रहे हैं कि देश के नागरिक कितने संयम के साथ कोरोना की इस मुश्किल चुनौती का सामना कर रहे हैं। देश को प्रेरित और प्रोत्साहित करने वाले नागरिकों का निर्माण शिक्षा के ऐसे संस्थानो में ही होता है। लखनऊ यूनिवर्सिटी दशकों से अपने इस काम को बखूबी निभा रही है।

विश्वविद्यालय सिर्फ उच्च शिक्षा का ही केंद्र नहीं होती, ये ऊंचे संकल्पों, ऊंचे लक्ष्यों को साधने की एक बहुत बड़ी ऊर्जा भूमि होती है। ये हमारी भीतर की ताकत को जगाने की प्रेरणा स्थली भी है। हम कई बार अपनी सामर्थ्य का पूरा उपयोग नहीं करते हैं। यही समस्या पहले सरकारी तौर तरीकों में भी थी।

रायबरेली की रेल कोच फैक्टरी में वर्षों पहले निवेश हुआ, संसाधन लगे, मशीनें लगीं, बड़ी-बड़ी घोषणाएं हुई, लेकिन कई वर्षों तक वहां सिर्फ डेंटिंग-पेंटिंग का ही काम होता था। 2014 के बाद हमने सोच बदली, तौर तरीका बदला। परिणाम ये हुआ कि कुछ महीने में ही यहां से पहला कोच तैयार हुआ और आज यहां हर साल सैकड़ों कोच तैयार हो रहे हैं। सामर्थ्य के सही इस्तेमाल का ये एक उदाहरण है।

एक जमाने मे देश मे यूरिया उत्पादन के बहुत से कारखाने थे, लेकिन बावजूद इसके काफी यूरिया भारत बाहर से इंपोर्ट करता था। इसकी बड़ी वजह है थी कि जो देश के खाद कारखाने थे वो अपनी पूरी क्षमता से कार्य ही नहीं करते थे। हमने सरकार में आने के बाद एक के बाद एक नीतिगत निर्णय लिए। इसी का नतीजा है कि आज देश में यूरिया कारखाने पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं।

खादी में हम गर्व करते हैं। मैंने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए खादी का खूब प्रचार-प्रसार किया। कुछ लोग निराशावादी बातें करते थे। लेकिन मैं सकारात्मक बातों के साथ आगे बढ़ा। आज खादी स्टोर से एक दिन में 1-1 करोड़ रुपये की बिक्री होती है, तो मुझे पहले के दिन याद आते हैं। साल 2014 के पहले 20 वर्षों में जितने रुपयों की खादी की बिक्री हुई थी। उससे ज्यादा की बिक्री पिछले 6 वर्षों में हुई है।

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