नयी दिल्ली: 20 मई (ए))। लोगों को
अधिकारी ने बताया कि पिछले साल पैरोल पर छूटने के बाद वह फरार हो गया था।
उन्होंने बताया कि सोमवार को जब शर्मा (67) को गिरफ्तार किया गया तब वह राजस्थान के दौसा स्थित एक आश्रम में फर्जी पहचान पत्र के साथ पुजारी के रूप में रह रहा था। शर्मा के खिलाफ कई लोगों की हत्या का मामला दर्ज है।
अधिकारी ने कहा कि उसे दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में सात अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और गुरुग्राम की एक अदालत ने उसे मृत्युदंड भी सुनाया है। पुलिस को संदेह है कि वह 50 से ज़्यादा हत्याओं के मामलों में संलिप्त है।
पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) आदित्य गौतम ने कहा कि शर्मा 2002 से 2004 के बीच कई टैक्सी और ट्रक चालकों की नृशंस हत्याओं के लिए तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। वह अगस्त 2023 में पैरोल पर बाहर आया था।
गौतम ने कहा, ‘‘शर्मा और उसके साथी चालकों को फर्जी यात्रा के लिए बुलाते थे, उनकी हत्या करते थे और उनके वाहनों को काला बाजार में बेच देते थे।’’
उन्होंने बताया कि इसके बाद सभी सबूत मिटाने के लिए शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज में हजारा नहर के मगरमच्छों से भरे पानी में फेंक दिया जाता था।
अधिकारी ने कहा कि शर्मा का लंबा आपराधिक इतिहास है, जिसमें हत्या, अपहरण और डकैती के कम से कम 27 मामले शामिल हैं।
वह पहली बार 1995 से 2004 के बीच अवैध गुर्दा प्रतिरोपण रैकेट चलाने के लिए कुख्यात हुआ था। बीएएमएस (आयुर्वेदिक चिकित्सा और सर्जरी में स्नातक) डिग्री धारक शर्मा ने 1984 में राजस्थान में एक क्लिनिक खोला था। उसने पुलिस के सामने कई राज्यों में चिकित्सकों और बिचौलियों की मदद से 125 से अधिक अवैध प्रतिरोपण कराने की बात कबूल की थी।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि 1995 से 2004 के बीच उसने एक गिरोह बनाया जो कथित तौर पर एलपीजी सिलेंडर ले जा रहे ट्रकों को रोकता था, चालकों को मारता था और खेप चुरा लेता था। उसने टैक्सी चालकों की लक्षित हत्याएं भी कीं।
पुलिस सूत्र ने कहा, ‘‘उसका गिरोह ट्रक को कबाड़ के तौर पर बाजार में बेच देता था।’’
इस दौरान शर्मा पर दो दर्जन से ज़्यादा लोगों की हत्या करने का संदेह है। उन्होंने बताया कि वह एक गिरोह का भी हिस्सा था और कथित तौर पर हर मामले के लिए सात लाख रुपये वसूल करता था।
शर्मा को गुर्दा गिरोह और सिलसिलेवार हत्याओं के संबंध में 2004 में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस उपायुक्त ने कहा, ‘‘शर्मा तिहाड़ जेल में अपनी सजा काट रहा था और अगस्त 2023 में पैरोल पर रिहा होने के बाद से फरार था। अपराध शाखा को उसकी तलाश का काम सौंपा गया था। अलीगढ़, जयपुर, दिल्ली, आगरा और प्रयागराज सहित कई शहरों में छह महीने तक चले अभियान के बाद टीम ने उसके दौसा के एक आश्रम में होने का पता लगाया, जहां वह झूठी पहचान के साथ आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में रह रहा था।’’
यह पहली बार नहीं है जब शर्मा पैरोल पर छूटने के बाद फरार हुआ था। उसे 28 जनवरी, 2020 को 20 दिन की पैरोल दी गई थी, लेकिन जुलाई में अपराध शाखा द्वारा दिल्ली से गिरफ्तार किए जाने से पहले वह सात महीने तक फरार रहा।