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शीर्ष न्यायालय ने अदालत की निगरानी में जांच बंद करने के खिलाफ याचिका खारिज की

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नयी दिल्ली, आठ जनवरी (ए)।उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र के दिवंगत तर्कवादी कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की बेटी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उनके पिता की हत्या की अदालत की निगरानी में जांच को रोकने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।

अंधविश्वास विरोधी दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे में दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के अनुसार उच्च न्यायालय ने कहा था कि नरेंद्र दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर सीबीआई को इस मामले के संबंध में कोई सामग्री दे सकती हैं और एजेंसी को कानून के मुताबिक उन पर विचार करना होगा।

पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया हम उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप के इच्छुक नहीं हैं।’’

मुक्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि यह गंभीर मामला है जहां व्यापक साजिश की जांच की जरूरत है।

बंबई उच्च न्यायालय 2014 से मामले में निगरानी रख रहा था। 2014 में मामले को पुणे पुलिस से सीबीआई को हस्तांतरित किया गया था।

उच्च न्यायालय ने पिछले साल अप्रैल में निगरानी करना बंद कर दिया और कहा कि यह अनवरत नहीं चल सकती।

शीर्ष अदालत की एक और पीठ ने पांच जनवरी को मुक्ता की एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें बंबई उच्च न्यायालय द्वारा मामले में एक आरोपी को दी गयी जमानत को चुनौती दी गई थी।

मुक्ता ने बंबई उच्च न्यायालय के छह मई, 2021 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था जिसमें विक्रम भावे को जमानत दी गई थी।

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