इस्लामाबाद/पेशावर: 12 अक्टूबर (ए)
वहीं, अफगानिस्तान का दावा है कि उसकी जवाबी कार्रवाई के दौरान 58 पाकिस्तानी सैनिकों मारे गये और 30 अन्य घायल हो गए।
सेना ने एक बयान में कहा कि 11-12 अक्टूबर की मध्य रात्रि को अफगान तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने “पाकिस्तान-अफगान सीमा पर बिना उकसावे के हमला किया”।
इसमें कहा गया है कि सीमा पार से गोलीबारी और सैनिकों द्वारा किये गये हमलों सहित “कायरतापूर्ण कार्रवाई” का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों को अस्थिर करना था, ताकि आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा सके और आतंकवादियों के “नापाक मंसूबों” को बढ़ावा मिल सके।
बयान में कहा गया है कि पाकिस्तानी सैनिकों ने “पूरी सीमा पर हमले को निर्णायक रूप से विफल कर दिया और तालिबान बलों और संबद्ध ख्वारजियों (टीटीपी आतंकवादियों) को भारी नुकसान पहुंचाया।” इसमें कहा गया कि सुरक्षा बलों ने अफगान क्षेत्र के अंदर तालिबान शिविरों, चौकियों और आतंकवादी प्रशिक्षण सुविधाओं पर सटीक हमले और छापे मारे।
रात भर चली झड़पों के दौरान 23 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 29 अन्य घायल हो गए, जबकि 200 से अधिक तालिबान और संबद्ध आतंकवादियों को मार गिराया गया, अफगान पक्ष के 21 शत्रु ठिकानों पर “थोड़े समय के लिए भौतिक रूप से कब्जा कर लिया गया” और कई आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को निष्क्रिय कर दिया गया।
पाकिस्तानी सेना ने कहा कि उसके बलों ने सामान्य नागरिकों को जानमाल के नुकसान से बचाने के लिए “सभी संभव उपाय” किए हैं, साथ ही देश की संप्रभुता की रक्षा जारी रखने की शपथ भी ली है।
बयान में चेतावनी दी गई कि पाकिस्तान हालांकि हिंसा और आक्रामकता के स्थान पर रचनात्मक कूटनीति और वार्ता को प्राथमिकता देता है, “हम पाकिस्तान के विरुद्ध आतंकवाद के लिए अफगान धरती के विश्वासघाती उपयोग को बर्दाश्त नहीं करेंगे”।
बयान में कहा गया है कि यह “गंभीर उकसावा” तालिबान के विदेश मंत्री के भारत दौरे के दौरान हुआ।
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बाद में कहा कि पाकिस्तान की संप्रभुता पर “कोई समझौता” नहीं होगा। उन्होंने सेना की “मुंहतोड़” प्रतिक्रिया की सराहना की, जिसने रातोंरात “कई” अफगान चौकियों को नष्ट कर दिया।
जरदारी ने तालिबान सरकार से अफगान धरती से सक्रिय पाकिस्तान विरोधी आतंकवादी तत्वों के खिलाफ ठोस और सत्यापन योग्य कार्रवाई करने का आग्रह किया।
तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान सरकार के रक्षा मंत्रालय ने रविवार तड़के हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि उसके बलों ने “जवाबी और सफल अभियान” चलाया है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘अगर विरोधी पक्ष फिर से अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है तो हमारे सशस्त्र बल देश की सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं और उसका माकूल जवाब देंगे।’’
अफगान बलों ने खैबर पख्तूनख्वा में अंगूर अड्डा, बाजौर, कुर्रम, दीर और चित्राल एवं बलूचिस्तान में बारामचा स्थित पाकिस्तानी चौकियों को निशाना बनाया।
‘टोलो न्यूज’ की खबर के अनुसार, तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि शनिवार रात को एक अभियान के दौरान अफगान बलों की कार्रवाई में 58 पाकिस्तानी सैनिक मार गिराए और कम से कम 30 घायल हुए हैं।
मुजाहिद ने कहा कि डूरंड रेखा के पार जवाबी कार्रवाई के दौरान 20 पाकिस्तानी सुरक्षा चौकियां नष्ट कर दी गईं और बड़ी संख्या में हथियार और सैन्य उपकरण जब्त कर लिये गए।
उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई में नौ अफगान सैनिक मारे गए और 16 घायल हो गए।
प्रवक्ता ने बताया कि कतर और सऊदी अरब के अनुरोध पर मध्यरात्रि को अभियान रोक दिया गया।
पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने सीमा चौकियों पर तालिबान के हमलों को ‘‘अकारण’’ बताया और उन पर आम नागरिकों पर गोलीबारी करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘अफगान बलों ने नागरिक आबादी को निशाना बनाकर गोलीबारी की, जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन है। पाकिस्तान के जांबाज सुरक्षा बलों ने त्वरित और असरदार जवाब दिया है और किसी भी उकसावे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेनाएं सतर्क हैं और अफगानिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से दिया जा रहा है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की ओर से कथित तौर पर अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करते हुए बार-बार आतंकवादी हमले करने के बाद दोनों पड़ोसियों के बीच स्थिति बिगड़ गई, जिसमें पिछले हफ्ते अशांत खैबर पख्तूनख्वा के ओरकजई जिले में हुआ एक हमला भी शामिल है। उस हमले में एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक मेजर समेत 11 सैन्यकर्मियों की जान चली गई थी।