आजमगढ़: 11 अक्टूबर (ए
पुलिस ने शनिवार को बताया कि इस मामले में मुख्य आरोपी समेत चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पुलिस के अनुसार जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह ने कोतवाली आजमगढ़ में मुख्य आरोपी बिलरियागंज के रामजीत यादव सहित चार लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया है।
रिहा हुए कैदी रामजीत यादव उर्फ संजय ने जेल अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर कर सरकारी खाते से करीब 18 माह में कई बार में लाखों रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की। जांच में बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है।
अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) मधुबन कुमार सिंह ने बताया कि रामजीत यादव को जेल में रहते हुए कामकाज की जिम्मेदारी दी गई थी। इस दौरान उसने बैंक चेक और हस्ताक्षर की प्रक्रिया को समझ लिया।
मुख्य आरोपी ने सरकारी खाते से करीब 30 लाख रुपए पार कर दिए। करीब डेढ़ साल तक अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगी। दरअसल, आरोपी ने पहले उनकी चेकबुक चुराई। फिर फर्जी साइन कर कई बार में उससे 30 लाख से ज्यादा रुपए निकाले। मामला जब सामने आया तो सभी का सिर चकरा गया।
आरोपी अपनी पत्नी की हत्या के मामले में जेल में था। 24 मई 2024 को उसे जमानत मिली। रिहा होने से पहले उसने चेकबुक चुराई। इसके बाद आरोपी 18 महीनों तक पैसे निकालता रहा। घटना का खुलासा 22 सितंबर को उस वक्त उजागर हुआ, जब कैदी ने खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले।
जैसे ही जेल अधीक्षक के फोन पर पैसे निकालने का मैसेज आया तो उन्होंने अकाउंटेंट से पूछा। लेकिन, उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं था। बैंक स्टेटमेंट निकलवाने पर पूरा धोखाधड़ी का मामला सामने आया। खुलासे के बाद जेल अधीक्षक ने कोतवाली में चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया है। घटना की जानकारी मिलते ही लखनऊ के उच्च अधिकारियों ने आजमगढ़ के जेल अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। कैदी की पहचान रामजीत यादव (40) के रूप में हुई है। वह जमुआ शाहगढ़ थाना बिलरियागंज का रहने वाला है। साल 2011 में वह अपनी पत्नी अनीता की हत्या के मामले में जेल गया था। साल 2017 में उसे पहली बार जमानत मिली। जेल से रिहा होने के बाद रामजीत ने नीतू नाम की महिला से दूसरी शादी कर ली।
24 फरवरी 2023 को कोर्ट ने उसे पत्नी की हत्या का दोषी करार देते हुए सजा सुनाई, जिसके बाद उसे दोबारा जेल भेजा गया। रामजीत यादव को जेल के अंदर कामकाज की जिम्मेदारी मिली। इसी दौरान उसने जेल प्रशासन के कामकाज और बैंक चेक पर दस्तखत करने का तरीका समझ लिया।
20 मई 2024 को जब वह जमानत पर जेल से रिहा हुआ, तो उसने अकाउंटेंट के कमरे से केनरा बैंक की चेकबुक चुरा ली।
यादव ने जेल से रिहा होने के अगले दिन यानी 21 मई 2024 को खाते से 10 हजार रुपए निकाले। 22 मई को 50 हजार रुपए और कुछ दिन बाद 1.40 लाख रुपए खाते से निकाले। इस दौरान जेल प्रशासन को न ही इस चोरी की और न ही चेकबुक चोरी की शिकायत दर्ज कराई गई। आरोपी ने लगभग 18 महीनों तक पैसे निकालते रहा।
22 सितंबर 2025 को जब खाते से 2.60 लाख रुपए निकाले गए, तब जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह का ध्यान इस पर गया। दरअसल, उनके फोन पर पैसे निकाले जाने का मैसेज आया। जब उन्होंने जेल अकाउंटेंट मुशीर अहमद से जानकारी ली, तो उनके पास कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं था।
इसके बाद के जेल खाते का स्टेटमेंट निकाला गया, तब पूरे मामला सामने आया। जांच में पता चला कि आरोपी खुद को जेल का ठेकेदार बताकर अधीक्षक के फर्जी दस्तखत से बैंक खाते से पैसे निकाल रहा है।
मामले के खुलासे के बाद जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सिंह ने कोतवाली आजमगढ़ में 4 लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया। इस धोखाधड़ी में रामजीत यादव उर्फ संजय (मुख्य आरोपी), शिवशंकर उर्फ गोरख (पूर्व कैदी), वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद (लेखाधिकारी) और चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय का नाम शामिल है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।