वाराणसी (उप्र): 18 जून (ए)
अधिकारियों ने बताया कि यह अभियान मंगलवार देर रात तक चला। इस कदम से स्थानीय निवासी खासे भावुक हैं। कई लोगों ने इस कार्रवाई को शहर की पाककला और सांस्कृतिक विरासत के एक महत्वपूर्ण हिस्से को ‘‘नष्ट’’ किया जाना करार देते हुए इस पर चिंता व्यक्त की है।
वाराणसी के महापौर अशोक तिवारी ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि सड़क के विस्तार का उद्देश्य लोगों की सुविधाओं बेहतर बनाना और अतिक्रमण को हटाने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया गया है।
तिवारी ने कहा, ‘‘काशी के लोगों के फायदे के लिए सड़क को चार लेन तक चौड़ा करने के लिए ध्वस्तीकरण किया जा रहा है। सभी प्रभावित दुकानदारों को दो महीने पहले नोटिस दिया गया था जिनकी जमीन अधिग्रहित की गई है। दुकानदारों को उचित मुआवजा मिलेगा।’
खाने पीने की मशहूर दुकानों पर भी बुलडोजर चलाए जाने के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘काशी का स्वाद कहीं नहीं जा रहा है…. केवल स्थान बदल रहा है। वास्तव में विस्तार से लोग काशी के जायके का अधिक आराम से आनंद ले सकेंगे।’’
हालांकि, दो प्रसिद्ध भोजनालयों के ध्वस्त किये जाने की आलोचना हो रही है।
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘अब वाराणसी के निवासी अपने मेहमानों को चाची की प्रसिद्ध कचौरी और पहलवान की लस्सी कैसे खिलाए-पिलाएंगे? जहां कभी प्यार की खुशबू थी, अब वहां केवल मलबा है। वाराणसी की आत्मा को ठेस पहुंची है।’’
राय ने कहा, ‘‘ये केवल दुकानें नहीं थीं, बल्कि सांस्कृतिक स्थल थे। मैं इन जगहों को बचपन से जानता हूं। जब भी हम यहां से गुजरते थे तो रुकते जरूर थे। बुलडोजर की यह कार्रवाई पूरे शहर के लिए एक भावनात्मक क्षति है।’’
स्थानीय लोगों ने बताया कि ‘चाची की कचौरी’ लगभग एक सदी पुरानी दुकान थी जो न केवल अपने स्वाद के लिए बल्कि ‘चाची’ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के लिए भी जानी जाती थी और यह उनके आकर्षण का हिस्सा बन गई थी।
स्थानीय लोगों के मुताबिक राजेश खन्ना, मनोज सिन्हा और स्मृति ईरानी समेत कई मशहूर हस्तियां पिछले कई सालों में दुकान पर आ चुकी हैं।
इसी तरह रबड़ी से बनने वाली कई स्वादों से युक्त ‘पहलवान लस्सी’ का इतिहास 70 साल से भी अधिक पुराना है। अक्षय कुमार, मिथुन चक्रवर्ती, अनुराग कश्यप, सोनू निगम, रवि किशन और मनोज तिवारी जैसी मशहूर हस्तियां इस दुकान पर आ चुकी हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि दुकान के मालिक अपनी दुकान ढहाये जाने पर बहुत दुखी हुए और वह दुकान को आखिरी सलाम करके वहां से चले गए।
एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, ‘‘यह सिर्फ एक दुकान खोने से कहीं ज्यादा है। ऐसा लगता है कि हमने वाराणसी का ही एक हिस्सा खो दिया है।’’