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कोर्ट ने बलात्कार और हत्या के आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया

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ठाणे, 28 जनवरी (ए) महाराष्ट्र की एक स्थानीय अदालत ने एक महिला से बलात्कार और उसकी हत्या के आरोप में 2016 से जेल में बंद पालघर के एक 33 वर्षीय शख्स को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।.

हालांकि, अदालत ने पुलिस को झूठी सूचना देने के आरोप में शख्स को दोषी ठहराया और उसे छह महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने कहा, आईपीसी की धारा 177 के तहत अपराध के लिए निर्धारित सजा एक साधारण कारावास या जुर्माना है जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है। लेकिन, ”आरोपी 27 अप्रैल 2016 से अब तक हिरासत में है। इसलिए, वह उपरोक्त हिरासत की अवधि के लिए सेट-ऑफ का हकदार है।”.

पेशे से मजदूर पालघर के वाडा तालुका निवासी आदिवासी सागर वामन मालवकर को ठाणे में अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश ए एन सिरसीकर ने 16 जनवरी को बरी कर दिया था। जिसके आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई थी।

अभियोजन पक्ष की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील राखी पांडे ने अदालत को बताया कि ”उस समय आरोपी और 18 वर्षीय महिला के बीच प्रेम संबंध थे। पीड़ित महिला उससे शादी करने के लिए कह रही थी जबकि शख्स पहले से ही शादीशुदा था और उसके बच्चे भी थे। जिसके बाद 26 मार्च 2016 को महिला को सुनसान जगह पर ले जाकर उसके साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया। घटना के बाद पीड़िता पास के जंगल में चली गई और बाद में मृत पाई गई। अगले दिन मालवकर ने वाडा थाने के कर्मियों को बताया कि पीड़िता ने पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली है।”

घटना के बाद पुलिस ने महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और घटनास्थल का निरीक्षण किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि महिला की मौत गला घोंटने से हुई थी, जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 (बलात्कार), 302 (हत्या) और 177 (गलत जानकारी देने) के तहत मामला दर्ज किया गया। जिसके बाद स्थानीय अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया था।

इस महीने की शुरुआत में पारित आदेश में सत्र अदालत ने कहा, ”पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के साक्ष्य, अभियोजन पक्ष के गवाह और मामले के अन्य तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, यह साबित हो गया है कि महिला की मौत की वजह आत्महत्या नहीं थी। इसलिए, यह साबित हो गया है कि अभियुक्त ने लोक सेवक, यानी पुलिस अधिकारी को महिला द्वारा आत्महत्या करने की गलत जानकारी दी थी। इसी कारण आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 177 (गलत जानकारी देने) का मामला दर्ज किया जाएगा।”

हालांकि, अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल रही कि महिला की मौत आत्महत्या की वजह से नहीं हुई थी। लेकिन वह यह साबित नहीं कर पाई कि महिला के साथ बलात्कार और उसकी हत्या किसने की।

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