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अदालत ने मानहानि मामले में अशोक गहलोत की याचिका पर गजेंद्र सिंह शेखावत को जवाब देने को कहा

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नयी दिल्ली: 22 जनवरी (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आपराधिक मानहानि मामले में समन के खिलाफ राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अपील पर सोमवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को नोटिस जारी किया।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने शेखावत को दो सप्ताह के भीतर याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और अपील को छह मार्च को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को भी यह निर्देश दिया कि वह अपने यहां लंबित मामले को उच्च न्यायालय में तय तिथि से बाद की तारीख के लिए स्थगित कर दे।

गहलोत ने पिछले साल सत्र अदालत के आदेश को चुनौती दी है, जिसने शेखावत द्वारा दायर शिकायत पर समन के खिलाफ उनकी अपील खारिज कर दी थी। सत्र अदालत ने कहा था कि अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए समन में कोई तथ्यात्मक गलती या त्रुटि नहीं थी।

शेखावत ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि गहलोत ने संवाददाता सम्मेलन, खबरों और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से उन्हें राजस्थान में कथित संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले से जोड़कर सार्वजनिक रूप से बदनाम किया।

यह कथित घोटाला उच्च रिटर्न के वादे के साथ हजारों निवेशकों से अनुमानित रूप से 900 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से संबंधित है।

सत्र अदालत ने शेखावत के वकील की दलील पर गौर किया था कि मजिस्ट्रेट अदालत को किसी आरोपी को बुलाने के समय साक्ष्य के सही-गलत होने या स्वीकार्यता के बारे में कोई विस्तृत टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि इस बारे में केवल मुकदमे के अंत में और पेश किए गए सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया जा सकता है।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और जोधपुर से सांसद शेखावत ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि गहलोत कथित घोटाले को लेकर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे हैं और उनकी छवि खराब करने तथा उनके राजनीतिक करियर को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।

मजिस्ट्रेट अदालत ने पूर्व में कहा था कि गहलोत ने ‘‘प्रथम दृष्टया’’ निहितार्थों के बारे में अच्छी तरह से जानते हुए और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से शेखावत के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगाए।

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