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अदालत ने न्यायाधीश के खिलाफ ‘आपत्तिजनक’ भाषा पर महिला के विरुद्ध अवमानना ​​कार्रवाई शुरू की

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नयी दिल्ली: 19 जनवरी (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने न्यायाधीश के खिलाफ ‘‘आपत्तिजनक’’ भाषा का इस्तेमाल करने के लिए ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली एक भारतीय महिला के विरुद्ध अवमानना ​​की कार्रवाई शुरू की है। न्यायालय ने साथ ही कहा कि उनकी टिप्पणी स्पष्ट रूप से अवमाननापूर्ण है और अदालत की गरिमा के विपरीत है।

उच्च न्यायालय ने महिला को 16 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) को आदेश दिया कि यदि वह सुनवाई की तारीख से पहले भारत आती हैं तो उनके आगमन पर उनका पासपोर्ट या वीजा जब्त कर लिया जाये। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) के माध्यम से एक मामले की सुनवाई में शामिल हुई महिला द्वारा न्यायाधीश और अदालत के खिलाफ ‘आपत्तिजनक’ भाषा का इस्तेमाल करने के संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्रवाई शुरू की।

अनिता कुमारी गुप्ता एक मामले में वादी थीं और वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई में शामिल हुई थीं। सुनवाई के दौरान उन्होंने न्यायाधीश और अदालत के खिलाफ ‘आपत्तिजनक’ भाषा का इस्तेमाल किया।

न्यायमूर्ति कृष्णा ने कहा, ‘‘अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए स्वत: संज्ञान लिया गया और अवमानना की कार्रवाई शुरू की गई है।’’

अदालत ने सिडनी में रहने वाली महिला को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि क्यों न उसे अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत दंडित किया जाए।

महिला के वकील उन्हें अदालत के आदेश के बारे में जानकारी देंगे।

उच्च न्यायालय ने ऑस्ट्रेलिया में कैनबरा स्थित भारतीय उच्चायोग को सिडनी में भारत के महावाणिज्य दूतावास के माध्यम से महिला को यह आदेश देने का भी निर्देश दिया।

न्यायालय अवमानना अधिनियम 1971 के तहत दोषी को छह महीने तक की कैद या 2,000 रुपये के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है

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