नयी दिल्ली: चार अगस्त (ए)
वीरपाल उर्फ मैजू 2004 से गिरफ्तारी से बच रहा था और 2005 में उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था।
एक अधिकारी ने बताया कि उसने विजय उर्फ रामदयाल के रूप में एक नयी पहचान बना ली थी और लखनऊ में रहने लगा था। अधिकारी ने बताया कि छिपने के दौरान, वीरपाल ने दूसरी शादी भी कर ली और उसकी दूसरी पत्नी से तीन बेटियां हुईं।
पुलिस उपायुक्त (अपराध) आदित्य गौतम ने बताया, ‘‘22 सितंबर 2004 को पुलिस को सूचना मिली कि एक किरायेदार ने अपनी पत्नी और बच्चे पर हमला करने के बाद कमरा खाली कर दिया है।’’ उन्होंने बताया कि सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस टीम को एक महिला खून से लथपथ पड़ी मिली।
गौतम ने बताया कि शव के पास टूटी हुई चूड़ियां, खून से सनी एक ईंट और एक टूटा हुआ दांत पड़ा था। उन्होंने कहा कि आरोप है कि वीरपाल अपने विवाह से नाखुश था और उसकी अपनी पत्नी से बनती नहीं थी। अधिकारी ने बताया कि उसका एक बच्चा उस दिन घायल अवस्था में पाया गया था और उसने अपने पिता और चाचा सुरेश उर्फ सैजू की पहचान हमलावरों के रूप में की।
डीसीपी ने कहा, ‘‘सह-आरोपी सुरेश कुमार को 2007 में गिरफ्तार कर लिया गया, उस पर मुकदमा चलाया गया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी गई। वहीं, वीरपाल भागने में कामयाब रहा और 21 साल से अधिक समय तक उसका कोई पता नहीं चला।”
पुलिस के अनुसार, भागने के बाद, वीरपाल ने फर्रुखाबाद में अपनी पैतृक संपत्ति बेच दी और अपने गांव से सारे संबंध तोड़ लिये। पुलिस के अनुसार वह दिहाड़ी मजदूरी करता था और उसकी दूसरी पत्नी से तीन बेटियां हैं। डीसीपी ने कहा कि वीरपाल ने अपना अपराध कबूल कर लिया है।