इंदौर: पांच मार्च (ए) अंतरधार्मिक विवाह के बाद अपनी जान को खतरा बताने वाले एक दम्पति को सुरक्षा प्रदान किए जाने के लिए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया है। अदालत ने कहा है कि इस जोड़े को किसी भी व्यक्ति द्वारा महज इस आधार पर परेशान नहीं किया जाना चाहिए कि उसे उनकी शादी से आपत्ति है।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने उज्जैन के रहने वाले इस जोड़े की याचिका का मंगलवार को निपटारा किया।अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़े ने अपनी याचिका में कहा था कि शादी को लेकर दुल्हन के परिवार वाले उन्हें परेशान कर रहे हैं और उन्हें अपनी जान पर खतरा महसूस हो रहा है।
उच्च न्यायालय ने कहा,‘‘यदि याचिकाकर्ता वयस्क हैं और उन्होंने स्वेच्छा से विवाह किया है, तो उन्हें किसी भी व्यक्ति द्वारा सिर्फ इसलिए परेशान नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उसे उनकी शादी से आपत्ति है। किसी भी उत्पीड़न से बचने के लिए याचिकाकर्ता निश्चित रूप से पुलिस सुरक्षा के हकदार हैं।’’
एकल पीठ ने इस जोड़े से कहा कि वे अपनी उम्र और शादी के सबूतों के साथ पुलिस के पास जाएं और इस बाबत बयान दर्ज कराएं कि उन्हें कौन धमकी दे रहा है।
अदालत ने कहा कि अगर पुलिस को लगता है कि दम्पति की जान को खतरा है, तो वह तुरंत उचित कानूनी कदम उठाए।
उच्च न्यायालय ने संबंधित पुलिस थाने के प्रभारी को निर्देशित किया कि वह दम्पति को अपना मोबाइल नम्बर भी दे, ताकि किसी भी आपात स्थिति में वे उससे संपर्क कर सकें।