सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन और मिसाइल का इस्तेमाल कर अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज को निशाना बनाने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि इनमें से प्रत्येक मिसाइल को मार गिराया गया और कोई भी अपने निर्धारित लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकी।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने बुधवार तड़के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत बहावलपुर को भी निशाना बनाया गया, जिसे आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ माना जाता है।
एक सूत्र ने कहा, “इंटिग्रेटेड काउन्टर अनमैन्ड एरियल सिस्टम (यूएएसत्र ग्रिड), एस-400 ट्रायम्फ प्रणाली, बराक-8 मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल और डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) की ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकियों ने मिलकर एक ऐसा हवाई कवच तैयार किया, जिसने मजबूती से हमलों को नाकाम कर दिया।”
सूत्र के अनुसार, “भारत ने सिर्फ बचाव ही नहीं किया। उसने तेजी और सटीकता के साथ जवाबी कार्रवाई भी की। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान की मुख्य भूमि पर हमला किया, लाहौर में एचक्यू-9 वायु रक्षा इकाई को नष्ट कर दिया और प्रमुख राडार ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया।”
सूत्रों ने कहा कि भारत की त्वरित एवं समन्वित प्रतिक्रिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में निर्मित वायु रक्षा तंत्र की ताकत को प्रदर्शित किया और पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली के “खोखलेपन को उजागर” किया।
उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिये 2021 में ऑर्डर किए गए और भारत में निर्मित ‘आत्मघाती ड्रोन’ को भी पहली बार संघर्ष में आजमाया गया।
सूत्र ने कहा, “इन ड्रोन ने विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ सटीक हमले किए, जिससे पाकिस्तान के सुरक्षा बल हैरान रह गए।”
सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बलों ने कराची और लाहौर में हवाई रक्षा प्रणालियों को निशाना बनाने और नष्ट करने के लिए इजराइली ड्रोन ‘हारोप’ का भी इस्तेमाल किया, जो अब स्थानीय स्तर पर भी बनाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन उपकरणों और प्रणालियों के इस्तेमाल तथा स्कैल्प और हैमर मिसाइल से लैस राफेल लड़ाकू विमानों की रणनीतिक तैनाती ने सैन्य अभियानों को सटीकता के साथ अंजाम देने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित किया।