नयी दिल्ली: पांच अक्टूबर (ए)
जयशंकर ने एक कार्यक्रम के संवाद सत्र में स्वीकार किया कि भारत और अमेरिका के बीच कुछ मुद्दे हैं, और इनमें से कई प्रस्तावित व्यापार समझौते को अंतिम रूप न दिए जाने से जुड़े हुए हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर समझ बनाना जरूरी है, क्योंकि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की “लक्ष्मण रेखाओं” का सम्मान किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “आज हमारे अमेरिका के साथ कुछ मुद्दे हैं. इसका एक बड़ा कारण यह है कि हम अब तक अपनी व्यापारिक वार्ताओं के लिए किसी ‘समझौते’ तक नहीं पहुंच पाए हैं, और वहां तक न पहुंच पाने के कारण भारत पर कुछ शुल्क लगाए गए हैं.” जयशंकर कौटिल्य इकोनॉमिक एन्क्लेव में ”उथल-पुथल के दौर में विदेश नीति का स्वरूप” विषय पर आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा, “इसके अलावा, एक दोहरा शुल्क भी है, जिसे लेकर हमने सार्वजनिक रूप से कहा है कि हम उसे बेहद अनुचित मानते हैं. यह शुल्क हमें रूस से ईंधन खरीदने को लेकर निशाना बनाता है, जबकि कई अन्य देश भी ऐसा कर रहे हैं- उनमें वे देश भी शामिल हैं, जिनके रूस के साथ वर्तमान में हमारे मुकाबले कहीं अधिक टकरावपूर्ण संबंध हैं.” अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिए जाने के बाद से नयी दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंध गंभीर तनाव में हैं. इसमें भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है. भारत ने अमेरिका की इस कार्रवाई को “अनुचित, अवांछित और तर्कहीन” करार दिया.
जयशंकर ने कहा, “अंत में जो भी हो, अमेरिका के साथ एक व्यापारिक समझ बनाना जरूरी है… क्योंकि वह दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है, और इसलिए भी क्योंकि दुनिया के अधिकांश देशों ने अमेरिका के साथ ऐसी समझ बना ली है.” उन्होंने कहा, “लेकिन यह एक ऐसी समझ होनी चाहिए जिसमें हमारी आधारभूत सीमाओं, हमारी लक्ष्मण रेखाओं का सम्मान किया जाए. किसी भी समझौते में, कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन पर आप बातचीत कर सकते हैं और कुछ ऐसी भी होती हैं जिन पर आप बातचीत नहीं कर सकते.” जयशंकर ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण बिल्कुल स्पष्ट है.
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हम इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट हैं. हमें वह जमीन तलाशनी है और इस पर मार्च से ही बातचीत चल रही है.” भारत और अमेरिका ने कुछ हफ्तों के अंतराल के बाद हाल ही में प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बातचीत फिर से शुरू की है.
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि संबंधों में तनाव का असर बातचीत के हर पहलू पर नहीं पड़ रहा है.
उन्होंने कहा, “समस्याएं हैं, मुद्दे हैं, कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता. उन मुद्दों पर बातचीत, चर्चा और समाधान की आवश्यकता है, और हम यही करने का प्रयास कर रहे हैं.” साथ ही, उन्होंने कहा, ”मैं वास्तव में मुद्दों से ज्यादा इसके बारे में कुछ भी निहितार्थ निकालने से बचूंगा. मुझे लगता है कि मैं यह भी कहना चाहता हूं कि संबंधों का एक बड़ा हिस्सा या तो पहले की तरह ही चल रहा है या कुछ मामलों में तो पहले से भी ज्यादा (बेहतर तरीके से) चल रहा है.”