नयी दिल्ली: चार दिसंबर (ए)
शीर्ष अदालत अभिनेता विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कषगम (टीवीके) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि समयबद्ध तरीके से ड्यूटी न निभाने के लिए बीएलओ के खिलाफ प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने टीवीके की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन की दलीलों पर गौर किया कि कुछ निर्देश जारी किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि चुनाव आयोग के अधिकारियों की ओर से दबाव डाले जाने के कारण कई बीएलओ की मौत हो चुकी है।
अधिवक्ता शंकरनारायणन ने कहा कि इसके अलावा निर्वाचन आयोग के अधिकारी सौंपा गया कामकाज पूरा करने में विफल रहने पर बीएलओ के खिलाफ प्राथमिकियां भी दर्ज करा रहे हैं।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि राज्य सरकार काम का दबाव कम करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारी तैनात करने पर विचार कर सकती है।
पीठ ने कहा, “यदि वे सामान्य जिम्मेदारियों के साथ-साथ चुनाव आयोग द्वारा सौंपे गए अतिरिक्त कार्य के दौरान परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो राज्य सरकार उनकी परेशानियां दूर कर सकती है।”
अदालत ने आदेश में कहा कि राज्य सरकारें ‘चुनाव निर्वाचन के अधीन अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात करने की आवश्यकता पर विचार कर सकती हैं ताकि कामकाज के घंटे आनुपातिक रूप से कम किए जा सकें।’
पीठ ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी के पास एसआईआर ड्यूटी से छूट मांगने का कोई “विशिष्ट कारण” है, तो राज्य सरकार का संबंधित अधिकारी ऐसे अनुरोधों पर मामलों के आधार पर विचार कर सकता है और उस कर्मचारी की जगह किसी अन्य को तैनात कर सकता है।
अदालत ने कहा, “हालांकि, यह न समझा जाए कि यदि उनके विकल्प उपलब्ध नहीं कराए गए हैं तो वे ड्यूटी पर नियुक्त कर्मचारियों को वापस बुला सकते हैं।”
इसके अलावा आदेश में कहा गया कि जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर जारी है, उनपर “चुनाव आयोग के अधीन आवश्यक कर्मचारी तैनात करने का दायित्व होगा, हालांकि ऐसे कर्मचारियों की संख्या उपरोक्त कारणों के आधार पर बढ़ाई जा सकती है।”
