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एक निजी विद्यालय का प्रबंधन अपने हाथ में लेने से पहले उपराज्यपाल उसका भी पक्ष सुनें: अदालत

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नयी दिल्ली: 24 जनवरी (ए) दिल्ली उच्च न्यायालय ने उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना से कहा है कि कथित प्रशासकीय और वित्तीय अनियमितताओं के कारण एक गैर-वित्त पोषित निजी स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में लेने से पहले उसका (विद्यालय का) भी पक्ष जरूर सुनें।

न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने कहा कि चूंकि कानून के तहत किसी स्कूल पर नियंत्रण की शक्ति प्रशासक के तौर पर उपराज्यपाल में निहित है, इसलिए स्कूल का पक्ष सुनने की अनुमति सक्सेना की ओर से ही दी जानी चाहिए, न कि शिक्षा निदेशालय द्वारा, जिसने स्कूल को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया है।अदालत ने इस सप्ताह पारित एक आदेश में कहा, ‘‘यह भी कहने की आवश्यकता नहीं है कि व्यक्तिगत सुनवाई की अनुमति केवल उस प्राधिकारी द्वारा दी जा सकती है जिसे निर्णय लेना है।’’

आदेश में कहा गया है, ‘‘इस अदालत की एक खंडपीठ ने व्यवस्था दी है कि किसी स्कूल के प्रबंधन को अपने नियंत्रण में लेने की शक्ति केवल प्रशासक के तौर पर उपराज्यपाल में निहित है, न कि शिक्षा निदेशालय (डीओई) में।’’

अदालत ने कहा कि उपराज्यपाल की सुविधानुसार निजी विद्यालय का पक्ष सुनने की अनुमति दी जाए।

अदालत ने कहा कि यह याचिकाकर्ता पर निर्भर करेगा कि वह हाजिर हो और किसी स्थगन की मांग न करे।

याचिकाकर्ता विद्यालय को 13 सितंबर, 2021 को शिक्षा निदेशालय द्वारा ‘‘कारण बताओ नोटिस जारी’’ किया गया था। इसमें कहा गया था कि दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम के तहत स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में लेने की कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘‘तदनुसार, माननीय उपराज्यपाल से अनुरोध है कि 13 सितंबर 2021 के कारण बताओ नोटिस पर निर्णय लेने से पहले याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया जाए।’’

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