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जेल से संचालित सुकेश गिरोह में आठ जेलकर्मियों की भूमिका की जांच को उपराज्यपाल की मंजूरी

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नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (ए) दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने रोहिणी स्थित जेल से कथित तौर पर सुकेश चंद्रशेखर द्वारा संचालित आपराधिक गिरोह के मामले में आठ जेलकर्मियों की भूमिका की जांच करने की अनुमति दिल्ली पुलिस को दे दी है।

राजनिवास के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सक्सेना ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को कथित तौर पर चंद्रशेखर द्वारा चलाए जा रहे आपराधिक गिरोह के संबंध में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत दिल्ली की जेलों के समूह-बी के आठ अधिकारियों की भूमिका की जांच करने की अनुमति दे दी है।

उन्होंने बताया कि इससे पहले पिछले साल उपराज्यपाल ने वित्तीय लाभ के लिए चन्द्रशेखर को कथित तौर पर मदद पहुंचाने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17ए के तहत 81 अन्य जेल अधिकारियों की भूमिका की जांच करने की अनुमति दी थी।

अधिकारियों ने कहा कि आठ अरोपी जेल अधिकारी सलाखों के पीछे हैं जिनमें दो जेल अधीक्षक, तीन जेल उपाधीक्षक और तीन सहायक जेल अधीक्षक शामिल हैं।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘आरोप था कि चंद्रशेखर बिना किसी बाधा के जेल में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने और अलग बैरक की सुविधा हासिल करने के लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपये हर महीने भुगतान करता था।’’

जांच के दौरान सामने आया कि पैसे के बदले आठ जेल अधिकारियों ने कथित तौर पर चंद्रशेखर को सुविधाएं उपलब्ध कराईं जिनमें उसके कारावास को आरामदेह बनाना और जेल में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के लिए निजता का ध्यान रखना शामिल है।

उन्होंने कहा कि अपराध करने वाले गिरोह का संचालन कथित तौर पर चंद्रशेखर द्वारा रोहिणी स्थित जेल नंबर 10 के वार्ड नंबर तीन के बैरक नंबर 204 से किया गया।

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