मुंबई: 11 अगस्त (ए)
मुख्य रूप से प्रतिद्वंद्वी शिवसेना के ‘भ्रष्ट’ मंत्रियों को बर्खास्त करने की मांग को लेकर यहां आयोजित विरोध प्रदर्शन में ठाकरे ने कहा कि जब तक उन मंत्रियों को बाहर का रास्ता नहीं दिखा दिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ महायुति का घटक दल है।
शिवसेना (उबाठा) ने कहा कि उसने पूरे राज्य में इसी तरह का आंदोलन किया है।
ठाकरे ने कहा, ‘‘हमने उन्हें (सरकार को) मंत्रियों के खिलाफ सबूत दिए, फिर भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोई डांस बार का संचालन कर रहा है, किसी के पास नोटों से भरा बैग है। अब किसी जांच की भी जरूरत नहीं है, फिर भी मुख्यमंत्री (अपने) मंत्रियों को बर्खास्त नहीं कर रहे हैं।’’
शिवसेना (उबाठा) यहां सत्तारूढ़ शिवसेना के मंत्री योगेश कदम, मंत्री संजय शिरसाट, मंत्री संजय राठौड़ समेत राकांपा के माणिकराव कोकाटे के इस्तीफे की मांग कर रही है।
ठाकरे की पार्टी ने कदम पर अपनी मां के नाम पर परमिट लेकर डांस बार संचालित करने का आरोप लगाया है, हालांकि मंत्री ने इस आरोप से इनकार किया है।
कोकाटे को राज्य विधान परिषद में कथित तौर पर रम्मी खेलने और किसानों के खिलाफ ‘असंवेदनशील’ टिप्पणी करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
शिरसाट को एक वीडियो में कथित तौर पर एक कमरे में नकदी से भरे एक आधे खुले बैग के साथ बैठा देखे जाने के बाद शिवसेना (उबाठा) उनपर निशाना साध रही है। मंत्री ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि बैग में सिर्फ़ कपड़े थे।
ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने मंत्री संजय राठौड़ पर भी भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया है।
इसमें भाजपा मंत्री गिरीश महाजन को कथित ‘हनीट्रैप’ घोटाले से जोड़ने की भी कोशिश की गई।
कदम, शिरसाट और राठौड़ उन 39 विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने 2022 में ठाकरे के खिलाफ बगावत की थी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एनाथ शिंदे का समर्थन किया था।
इस बगावत के कारण ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई थी और शिवसेना विभाजित हो गई थी।
शिवसेना (उबाठा) प्रमुख ने जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे को लेकर भी केंद्र पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि धनखड़ के अचानक इस्तीफे के लिए स्पष्टीकरण नहीं दिया गया और इस बारे में जानकारी मांगी कि वह (उपराष्ट्रपति) कहां हैं।
धनखड़ ने अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए 22 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। विपक्ष ने उनके इस्तीफे पर सवाल उठाए हैं।