प्रयागराज: चार अक्टूबर (ए)
मेरठ के निवासी साजिद चौधरी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 (भारत की संप्रभुता को खतरे में डालना) के तहत मामला दर्ज किया गया था और वह इस साल 13 मई से जेल में बंद था।
विवादित पोस्ट में कथित तौर पर लिखा था, कामरान भट्टी, मुझे आप पर गर्व है, पाकिस्तान ज़िंदाबाद। न्यायमूर्ति संतोष राय ने ज़मानत याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि इस तरह का संदेश पोस्ट करने से लोगों के बीच आक्रोश या वैमनस्य भड़क सकता है और यह बीएनएस की धारा 196 (शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत दंडनीय हो सकता है, लेकिन इस मामले में बीएनएस की धारा 152 के कड़े प्रावधान लागू नहीं होते।
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि चौधरी को गुप्त उद्देश्यों के कारण झूठे मामले में फंसाया गया है और उन्होंने केवल पोस्ट साझा की थी, कहीं भी कोई वीडियो पोस्ट या प्रसारित नहीं किया था।
उन्होंने कहा कि अभियुक्त का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और इस बात की भी आशंका नहीं है कि वह ज़मानत पर रिहा होने पर सबूतों से छेड़छाड़ करेगा। सरकारी वकील ने याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि आवेदक एक अलगाववादी है और पहले भी इसी तरह की गतिविधियों में शामिल रहा है।
अदालत ने 25 सितंबर, 2025 के आदेश में कहा कि सरकारी वकील ने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जिससे साबित हो कि अभियुक्त ने भारत की अखंडता और संप्रभुता के विरुद्ध कोई बयान दिया हो।
अदालत ने यह भी कहा कि बीएनएस की धारा 152 एक नया प्रावधान है औरभारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। अदालत ने कहा कि इस धारा का इस्तेमाल उचित सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।