नयी दिल्ली: दो नवंबर (ए)।
उन्होंने बताया कि टैगोर गार्डन निवासी आरोपी सोनू (27) को मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से शिकायत मिलने के बाद 30 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया।पुलिस के अनुसार, यह मामला उस वक्त सामने आया, जब दिल्ली के महाराजा अग्रसेन अस्पताल के अधिकारियों ने सीएमओ को एक ईमेल भेजकर एक पत्र की पुष्टि करने का आग्रह किया, जिसमें उन्हें ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी के तहत श्याम शंकर नाम के मरीज के लिए मुफ्त इलाज की सिफारिश की गई थी।
पुलिस उपायुक्त (उत्तर) राजा बांठिया ने एक बयान में कहा, ‘‘पत्र पर मुख्यमंत्री कार्यालय के शीर्ष अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर थे। अस्पताल अधिकारियों को संदेह हुआ क्योंकि पत्र में वर्तनी की अशुद्धियां थीं।’’
अधिकारी ने बताया कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय से खुद को बलबीर सिंह राठी बताने वाले एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने उन्हें उपचार जारी रखने का निर्देश दिया।
इस पत्र को संदिग्ध पाते हुए अस्पताल ने सत्यापन के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क किया।
एक बयान के अनुसार, इसके बाद मुख्यमंत्री के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) एस.सी. वशिष्ठ ने सिविल लाइंस थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि किसी ने मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक ‘लेटरहेड’ का उपयोग करके धोखाधड़ी से जाली पत्र तैयार किए हैं।
इस सिलसिले में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। जांच के दौरान, पुलिस की एक टीम ने मरीज श्याम शंकर से पूछताछ की, जिसने बताया कि उसकी पत्नी अंजू को यह पत्र सोनू नामक एक व्यक्ति से मिला था।
टीम ने फोन करने वाले द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबरों का लोकेशन करोल बाग क्षेत्र में पाया, जहां सोनू दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) कार्यालय में संविदा माली के रूप में कार्यरत पाया गया।
टीम ने जब 29 अक्टूबर को छापा मारा तो आरोपी अपना बैग और मोटरसाइकिल छोड़कर भागने में सफल रहा।
पुलिस ने बताया कि टीम ने टैगोर गार्डन तक उस पर नजर रखी और अगले दिन उसे गिरफ्तार कर लिया। उसका मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया।
डीसीपी ने कहा, ‘‘पूछताछ के दौरान सोनू ने बताया कि उसे कुछ महीने पहले एमसीडी के डाक विभाग में मुख्यमंत्री कार्यालय का एक मूल पत्र मिला था और उसने पैसे कमाने के लिए इसकी जाली प्रतियां बनाने का फैसला किया।’’
उन्होंने बताया कि वह निजी अस्पतालों के बाहर के उन गरीब मरीजों को अपने झांसे में लेता था जो इलाज का खर्च वहन करने में असमर्थ थे। उन्होंने बताया कि वह उन्हें 5,000 रुपये प्रति मामले के हिसाब से ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत निजी अस्पताल में मुफ्त भर्ती कराने का वादा करता था।
पुलिस ने बताया कि उसके पास से बरामद वस्तुओं में एक मोबाइल फोन, मुख्यमंत्री कार्यालय के कई जाली पत्र, एक प्रभारी अधिकारी के हस्ताक्षर वाला मूल लेटरहेड, एक फर्जी एमसीडी पहचान पत्र, हरियाणा सरकार का एक फर्जी पहचान पत्र और छेड़छाड़ की गई नंबर प्लेट वाली एक मोटरसाइकिल शामिल है।
मूल रूप से हरियाणा के झज्जर स्थित बादली के रहने वाले सोनू ने 1999 में अपने पिता की मृत्यु के बाद स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी थी। वर्ष 2023 में दिल्ली आने से पहले, बहादुरगढ़ में पांच साल तक चौकीदार और माली के रूप में काम किया।
पुलिस ने बताया कि वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ टैगोर गार्डन में किराये के मकान में रहता है। अन्य लोगों की पहचान के लिए विस्तृत जांच जारी है।