कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस के नकली इंजेक्शन की सप्लाई करने वाला गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश कानपुर नगर
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कानपुर, 02 जून (ए)। कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले एमफोनेक्स इंजेक्शन की नकली खेप बेचने वाले शातिर विजय मौर्या को पुलिस ने मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। उसे लखनऊ से पकड़ा गया और समन जारी कर पुलिस कानपुर पूछताछ के लिए लाई। पूछताछ के दौरान उसके मुंबई और गुजरात के भी कुछ लिंक पुलिस के हाथ लगे हैं। इस मामले में पुलिस आरोपितों के खिलाफ गैंगस्टर और रासुका के तहत भी कार्रवाई करेगी। जानकारी के अनुसार एसीपी कर्नलगंज त्रिपुरारी पाण्डेय और उनकी टीम सोमवार सुबह लखनऊ पहुंची। वहां पर दवा कम्पनी में पूछताछ के दौरान और सैम्पल कलेक्ट करने के बाद उन्हें असली और नकली इंजेक्शन के बारे में जानकारी मिल गई थी। आरोपितों से पूछताछ में विजय मौर्या का नाम पहले ही पुलिस के पास आ चुका था। विजय का कुर्सी रोड लखनऊ में मेडिकल स्टोर है। मंगलवार सुबह वहां छापेमारी कर विजय को पकड़ कर कानपुर लाया गया। पुलिस को पूछताछ में नकली इंजेक्शन की खरीद-फरोख्त के सबूत मिल गए। इसके बाद पुलिस ने उसे देर रात गिरफ्तार कर लिया। आरोपित ने कानपुर और प्रयागराज में एजेंटों को नकली इंजेक्शन बेचे थे।
जो नेटवर्क पुलिस के हाथ लगा है, उसका भंडाफोड़ करने के लिए लगातार मुंबई और गुजरात में काम करने की जरूरत है। इतना समय टीम को नहीं दिया जा रहा है। इसकी वजह से जो भी सूचनाएं टीम को मिल रही हैं, वह उसे गुजरात और मुंबई के पुलिस अधिकारियों के साथ साझा कर रही है। 
पुलिस के हाथ नकली इंजेक्शन को सप्लाई करने वाला लग गया है। यहां पर उसके कुछ और कनेक्शन के बारे में जानकारी भी मिल गई है। मगर अब तक पुलिस को यह नहीं पता चला है कि नकली इंजेक्शन की खेप तैयार कहां की जा रही थी। हालांकि लखनऊ के ग्रामीण इलाके में इंजेक्शन की पैकिंग को लेकर कुछ सूचना पुलिस के हाथ जरूर लगी है।
पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने बताया कि यह मामला एनएसए के लिए मजबूत है। रेमडेसिविर इंजेक्शन के नाम पर भी नकली इंजेक्शन की तस्करी की गई, जिससे सैकड़ों लोगों की जान को खतरा था। ऐसा ही कुछ इन इंजेक्शन में भी है। इस कारण इसमें एनएसए लगेगा।

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