शिवमोगा (कर्नाटक): 12 जुलाई (ए)
हाल ही में फोन निकाले जाने के बाद अधिकारियों ने इस बात की जांच के आदेश दिए हैं कि यह प्रतिबंधित वस्तु उच्च सुरक्षा वाले जेल में कैसे पहुंची। कैदी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत आपराधिक मामला भी दर्ज किया गया है।
दोषी ठहराया गया 30 वर्षीय दौलत उर्फ गुंडा 10 साल की सजा काट रहा है।
उसने 24 जून को पेट दर्द की शिकायत की और जेल के चिकित्साकर्मियों को बताया कि उसने कुछ निगल लिया है।
जेल कर्मचारियों ने उसे आगे के इलाज के लिए तुरंत शिवमोगा के सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया।
चिकित्सकों ने एक्स-रे किया तो पता चला कि उसके पेट में फोन है।
कैदी की सहमति प्राप्त करने के बाद शल्य चिकित्सा की गई और लगभग एक इंच चौड़ाई तथा तीन इंच लंबाई वाले फोन को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया।
फोन को आठ जुलाई को एक सीलबंद लिफाफे में जेल अधिकारियों को सौंप दिया गया।
जेल अधिकारी रंगनाथ पी द्वारा तुंगानगर पुलिस थाने में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसमें इस बात की विस्तृत जांच की मांग की गई है ताकि पता चल सके कि कैदी ने कड़ी निगरानी के बावजूद जेल के अंदर फोन कैसे मंगा लिया।
यह भी आरोप सामने आए हैं कि कुछ जेल कर्मचारियों ने इसमें सहायता की होगी।
अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं।
पुलिस के अनुसार कर्नाटक के शिवमोगा जिले की सेंट्रल जेल में कुछ ऐसा हुआ जिसने जेल प्रशासन से लेकर डॉक्टरों तक को हिलाकर रख दिया. एक कैदी पेट पकड़कर तड़प रहा था, बार-बार कह रहा था “डॉक्टर साहब, गलती से पत्थर निगल लिया है.” लेकिन जब असली वजह सामने आई, तो डॉक्टरों की आंखें भी फटी की फटी रह गईं… क्योंकि उसके पेट से निकला एक मोबाइल फोन!