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मंकीपॉक्स से घबराने की जरूरत नहीं: विशेषज्ञ

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नयी दिल्ली, 24 जुलाई (ए) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने और भारत में इसके चार मामले सामने आने के बाद रविवार को विशेषज्ञों ने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह कम संक्रामक है और इससे मौत की आशंका बेहद कम होती है।

विशेषज्ञों के अनुसार, मंकीपॉक्स को कड़ी निगरानी के जरिए प्रभावी रूप से रोका जा सकता है। संक्रमित व्यक्तियों को पृथक करके और उनके संपर्क में आए लोगों को अलग करके संक्रमण के प्रसार पर लगाम लगाई जा सकती है। साथ ही उन्होंने रेखांकित किया कि कमजोर रोग प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों की अधिक देखभाल करने की जरूरत है।

पुणे में स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआई‍वी) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर प्रज्ञा यादव ने कहा कि मंकीपॉक्स वायरस दोहरे डीएनए स्वरूप वाला वायरस है जिसमें दो अलग-अलग आनुवंशिक स्वरूप होते हैं। इनमें से एक स्वरूप मध्य अफ्रीकी (कांगो बेसिन) है और एक पश्चिम अफ्रीकी है।

उन्होंने कहा, ‘हाल में जिस प्रकोप ने कई देशों को प्रभावित कर चिंता में डाल दिया है, उसके पीछे पश्चिमी स्वरूप है, जिसे पहले सामने आए कांगो स्वरूप से कम गंभीर बताया जा रहा है।’

एनआईवी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के प्रमुख संस्थानों में से एक है।

महामारी विशेषज्ञ एवं संक्रामक रोग चिकित्सक डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि मंकीपॉक्स कोई नया वायरस नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पांच दशकों से विश्व स्तर पर मौजूद है, और इसकी वायरल संरचना, संचरण और रोगजनकता के बारे में काफी जानकारी उपलब्ध है।

उन्होंने कहा, ‘वायरस के कारण ज्यादातर मामलों में हल्की बीमारी होती है। यह कम संक्रामक है और सार्स-कोव-2 (कोरोना वायरस) के विपरीत इस रोग की चपेट में आने वाले व्यक्तियों के संपर्क में रहा जा सकता है। सार्स-कोव-2 में सांस लेने में समस्या आती है और इसमें ऐसे लोगों की संख्या अधिक होती है, जिनमें लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।

लहरिया ने कहा, ‘अब तक, बहुत से ऐसे कारण हैं, जिनके आधार यह माना जा सकता है कि मंकीपॉक्स के प्रकोप से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है और रोगियों व उनके संपर्क में आए लोगों को पृथक करके तथा चेचक के मंजूरी प्राप्त टीकों के इस्तेमाल से इसपर लगाम लगाई जा सकती है।’

उन्होंने कहा कि फिलहाल आम लोगों के टीकाकरण की सिफारिश नहीं की जानी चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शनिवार को मंकीपॉक्स को चिंजाजनक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 70 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स का प्रसार होना ‘‘असाधारण’’ परिस्थिति है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसुस ने कहा, ‘‘संक्षेप में, हम एक ऐसी महामारी का सामना कर रहे हैं जो संचरण के नये माध्यमों के जरिये तेजी से दुनिया भर में फैल गई है और इस रोग के बारे में हमारे पास काफी कम जानकारी है।’’

वैश्विक स्तर पर 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं और इसके कारण अभी तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है।

एनटीएजीआई के कोविड कार्यकारी समूह के प्रमुख डॉ. एन. के. अरोड़ा ने कहा, ‘‘घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह बीमारी कम संक्रामक है और इससे मौत होने की आशंका भी बेहद कम होती है। लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है।’

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “भले ही इसका प्रसार चिंता का विषय है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। कड़ी निगरानी, ​​संक्रमित लोगों और उनके संपर्क में आए व्यक्तियों को अलग-अलग करके इस वायरस पर काबू पाया जा सकता है।”

भारत ने कोविड-19 महामारी से सीखे गए सबक के आधार पर, देश में मंकीपॉक्स के मामलों का पता लगाने और उन पर नज़र रखने के लिए एक निगरानी प्रणाली स्थापित की है।

भारत में अब तक इस बीमारी के चार मामले सामने आए हैं। इनमें से तीन केरल जबकि एक दिल्ली में सामने आया है। केंद्र ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के 34 वर्षीय व्यक्ति के संक्रमित होने की पुष्टि की, जिसका कोई विदेश यात्रा इतिहास नहीं है।

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