कृष्ण जन्मभूमि मथुरा मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने के लिए याचिका दायर करने की अनुमति

उत्तर प्रदेश प्रयागराज
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प्रयागराज: 18 जुलाई (ए)। ) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को वाद संख्या 17 में वादी द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार कर लिया जिसमें कहा गया है कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में उसकी शिकायत को अन्य सभी वादों का प्रतिनिधि मानें।

इसके साथ, वाद संख्या 17 को प्रतिनिधि वाद के तौर पर माना जाएगा और सबसे पहले इस पर सुनवाई की जाएगी और निर्णय दिया जाएगा।

यह आदेश पारित करते हुए न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने कहा कि वादी इस संबंध में आवश्यक संशोधन कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि वाद संख्या 17 में एक आवेदन दाखिल कर सभी मुकदमों के लिए प्रतिनिधि की क्षमता में इस वाद को मानने का अनुरोध किया गया था।

मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तसलीमा नसीम ने कहा कि इस आदेश के बाद अन्य मुकदमों की सुनवाई पर रोक लगनी चाहिए जिससे वाद संख्या 17 में जो आदेश पारित हो वह अन्य मुकदमों पर बाध्यकारी हो।

अदालत ने मुद्दे तय करने के लिए सुनवाई की अगली तिथि 22 अगस्त तय की।

उल्लेखनीय है कि हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह ढांचा हटाने के बाद जमीन का कब्जा लेने और वहां मंदिर बहाल करने के लिए 18 मुकदमे दाखिल किए हैं।

इससे पूर्व, एक अगस्त, 2024 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हिंदू पक्षों द्वारा दायर इन मुकदमों की पोषणीयता (सुनवाई योग्य) को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी।

अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि ये मुकदमे समय सीमा, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से बाधित नहीं हैं। पूजा स्थल अधिनियम किसी भी धार्मिक ढांचे को जो 15 अगस्त, 1947 को मौजूद था, उसे परिवर्तित करने से रोकता है।

अदालत ने 23 अक्टूबर, 2024 को कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में 11 जनवरी, 2024 के आदेश को वापस लेने की मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज कर दी थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी, 2024 के अपने निर्णय में हिंदू पक्षों द्वारा दायर सभी मुकदमों को समेकित कर दिया था।

यह विवाद मथुरा में मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है जिसे कथित तौर पर भगवान कृष्ण के जन्म स्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाया गया है।