पाकिस्तान-सऊदी अरब रक्षा सौदे में अन्य अरब देशों के शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं : आसिफ

अंतरराष्ट्रीय
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इस्लामाबाद: 19 सितंबर (ए)) पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि उनके मुल्क और सऊदी अरब के बीच आपसी रक्षा समझौते में अन्य अरब देशों के शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इस तरह के घटनाक्रम के लिए ‘‘दरवाजे बंद नहीं हैं।’’

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने बुधवार को एक ‘रणनीतिक पारस्परिक रक्षा’ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अनुसार उनमें से किसी भी देश पर किसी भी हमले को ‘दोनों के विरुद्ध आक्रमण’ माना जायेगा।

एक संयुक्त बयान के अनुसार, इस समझौते पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने बुधवार को पाकिस्तानी नेता की खाड़ी देश की एक दिवसीय यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए।

यह समझौता कतर में हमास नेतृत्व पर इजराइली हमले के कुछ दिनों बाद हुआ है, जो खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी है।

रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने और अरब देशों के इस समझौते का हिस्सा बनने की संभावना पर एक सवाल पर कहा, ‘‘मैं इसका अभी जवाब नहीं दे सकता लेकिन इतना अवश्य कहूंगा कि दरवाज़े बंद नहीं हैं।’’

मंगलवार को ‘जियो न्यूज’ को दिए एक साक्षात्कार में आसिफ ने कहा था कि वह हमेशा से नाटो जैसे समझौते की वकालत करते रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान के लिए खतरे की स्थिति अधिक रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यहां के देशों और लोगों, विशेष रूप से मुस्लिम आबादी का यह मौलिक अधिकार है कि वे मिलकर अपने क्षेत्र और राष्ट्रों की रक्षा करें।’’

उन्होंने बताया कि इस समझौते में ऐसी कोई धारा नहीं है जो किसी अन्य राष्ट्र को शामिल होने से रोकती हो या पाकिस्तान को किसी और के साथ ऐसा ही समझौता करने से रोकती हो।

उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान की परमाणु संपत्ति भी इस समझौते के तहत उपलब्ध होगी? इस पर आसिफ ने कहा, ‘‘हमारे पास जो क्षमताएं हैं, वे निश्चित रूप से इस समझौते के अंतर्गत उपलब्ध होंगी।’’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा अपनी परमाणु सुविधाएं निरीक्षण के लिए उपलब्ध कराई हैं और कभी कोई उल्लंघन नहीं किया।

यह पूछे जाने पर कि क्या किसी एक देश पर हमला होने पर दूसरा देश उसकी रक्षा में शामिल होगा, इस पर रक्षा मंत्री ने कहा: ‘‘हां, बिल्कुल। इसमें कोई संदेह नहीं है।’’

आसिफ ने कहा कि यह कोई ‘‘आक्रामक समझौता’’ नहीं बल्कि नाटो जैसी एक रक्षात्मक व्यवस्था है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से सऊदी बलों को प्रशिक्षित करता आ रहा है और हालिया घटनाक्रम केवल उसका औपचारिक ‘‘विस्तार’’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई आक्रमण होगा, चाहे वह सऊदी अरब पर हो या पाकिस्तान पर, तो हम उसका संयुक्त रूप से मुकाबला करेंगे।’’

आसिफ ने बताया कि पाकिस्तान की बड़ी सैन्य और वायु सेना की टुकड़ी दशकों से सऊदी अरब में मौजूद रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि उस (पहले से मौजूद) संबंध को अब और परिभाषित किया गया है और उस समझ को एक रक्षा समझौते का रूप दिया गया है।’’

भारत में इस समझौते पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर इस समझौते के प्रभावों का अध्ययन करेगा।

जायसवाल ने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा और “सभी क्षेत्रों में व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने” के लिए प्रतिबद्ध है।

जब आसिफ से पूछा गया कि क्या इस मामले में अमेरिका को विश्वास में लिया गया था, तो उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि किसी तीसरे पक्ष की इसमें ‘‘कोई भूमिका या औचित्य’’ नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह समझौता किसी प्रभुत्व स्थापित करने वाली व्यवस्था का हिस्सा नहीं होगा, बल्कि एक रक्षात्मक व्यवस्था है… हमारे पास किसी की जमीन पर कब्जा करने या हमला करने की कोई योजना नहीं है। लेकिन हमारे मौलिक अधिकार से हमें वंचित नहीं किया जा सकता और हमने कल उसका प्रयोग किया।’’

आसिफ ने यह भी कहा कि सऊदी अरब में पवित्र इस्लामी स्थलों की रक्षा करना पाकिस्तान का एक “परम कर्तव्य” है।

सुरक्षा बलों पर आतंकवादी हमलों के सवाल पर आसिफ ने पाकिस्तान का दावा दोहराया कि अफगान जमीन का इस्तेमाल देश में आतंकवाद फैलाने के लिए किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम अफगानिस्तान में दो युद्धों में उलझे रहे। दोनों ही मौकों पर अमेरिका इस क्षेत्र से चला गया और हम अब भी इसके परिणाम भुगत रहे हैं, चाहे वह तालिबान हो, टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान), बीएलए (बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी) या कोई और।’’

अफगानिस्तान को ‘‘शत्रु देश’’ बताते हुए आसिफ ने कहा, ‘‘मैं इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हूं कि काबुल सरकार इसमें निर्दोष नहीं है। इन लोगों के ज़रिए वे हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या अरब देश अफगानिस्तान की आक्रामकता का जवाब देंगे, तो आसिफ ने कहा कि उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी।