पटना: 23 जुलाई (ए) बिहार विधानसभा में बुधवार को कई विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, जबकि विपक्ष ने संशोधन पेश करने के बावजूद सदन से बहिर्गमन कर दिया।
उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2025 पेश किया, जिसका मकसद भागलपुर के सबौर स्थित विश्वविद्यालय में सभी संकाय सदस्यों की भर्ती बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के माध्यम से सुनिश्चित करना है।
कृषि विभाग का भी प्रभार संभाल रहे सिन्हा ने कहा, “इससे विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और शोध कार्यों की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।”
सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने विधानसभा में बिहार दुकान स्थापना (रोजगार विनियमन एवं सेवा शर्त) विधेयक, 2025 पेश किया, जिसका उद्देश्य दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को लाभ पहुंचाना है।
विधेयक के पारित होने के बाद सिंह ने संवाददाताओं से कहा, “यह विधेयक साप्ताहिक सवेतन अवकाश को अनिवार्य करता है और इसमें प्रति वर्ष सात दिनों का सवैतनिक बीमारी अवकाश (सिक लीव) की अनुमति दी गई है। श्रमिकों से प्रतिदिन नौ घंटे या सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। अब दस या अधिक श्रमिकों को रोजगार देने वाली दुकानों और प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण आवश्यक होगा, जबकि दस से कम कर्मचारियों वाली दुकानों और प्रतिष्ठानों को इससे छूट दी जाएगी।”
मंत्री ने कहा कि पंजीकरण मानदंडों के अंतर्गत आने वाले व्यवसायों को नये नियमों के लागू होने के छह महीने के भीतर यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
विधानसभा ने राज्य में जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए भी एक विधेयक पारित किया।
यह विश्वविद्यालय युवाओं को स्वरोजगार के अवसरों से जोड़ने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
इसके अलावा, विधानसभा ने बिहार प्लेटफॉर्म-आधारित गिग श्रमिक (पंजीकरण, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण) विधेयक, 2025 को स्वीकृति दी।
इस विधेयक के तहत, राज्य सरकार सभी अंशकालिक प्लेटफॉर्म-आधारित गिग श्रमिकों को पंजीकृत करेगी और बीमा कवरेज सहित सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करेगी।
श्रम संसाधन मंत्री ने कहा, “ड्यूटी के दौरान दुर्घटनावश मौत होने पर श्रमिक के परिवार को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी। दुर्घटना के कारण अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में, एक सप्ताह से अधिक समय तक रहने पर 16,000 रुपये और इससे कम अवधि के लिए 5,400 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।”
सदन ने कारखाना (बिहार संशोधन) विधेयक, 2025 को भी ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के कानून की शक्ल लेने के बाद राज्य के कारखानों में कार्यरत श्रमिक एक सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करने पर दोगुनी मजदूरी पाने के हकदार होंगे।
विधेयक में कहा गया है कि श्रमिकों के लिए दैनिक कार्य घंटों को 12 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन कुल मिलाकर साप्ताहिक कार्य घंटे 48 घंटे से अधिक नहीं होने चाहिए।
इससे पहले, दिन में विधानसभा में उस समय नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला, जब विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर बोलने के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हस्तक्षेप से सदन में तीखी बहस शुरू हो गई।
दोपहर के भोजन के बाद जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तब विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए और तख्तियां लहराते हुए आसन के सामने आ गए। वे कुछ मिनट के हंगामे के बाद सदन से बहिर्गमन कर गए।