नयी दिल्ली: 26 सितंबर (ए) एक निजी प्रबंधन संस्थान में 17 छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोपी स्वयंभू धर्मगुरु चैतन्यानंद सरस्वती अब भी फरार है, लेकिन छात्राओं को डराने-धमकाने और अपना दबदबा बनाए रखने के संबंध में उसके कई कारनामे सामने आ रहे हैं।
पीड़िता के एक पारिवारिक मित्र ने
संस्थान के प्रबंधन की शिकायत के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई जिसमें आरोप लगाया गया कि 30 से अधिक छात्राओं के साथ डिजिटल माध्यम से हुई बातचीत के दौरान उनमें से कई ने चैतन्यानंद द्वारा यौन उत्पीड़न और धमकी के मामलों का खुलासा किया।
उसने छात्राओं को देर रात अपने क्वार्टर में आने के लिए कथित तौर पर मजबूर किया और उन्हें अनुचित संदेश भेजे।
शिकायतकर्ता के पारिवारिक मित्र ने कहा कि एसोसिएट डीन के रूप में काम करने वाली और कथित तौर पर छात्राओं को डराने-धमकाने और आपत्तिजनक संदेशों को डिलीट कराने में चैतन्यानंद की मदद करने वाली एक महिला के पति और बहन को भी संस्थान में पद दिए गए थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि कई प्रोफ़ेसर भी कथित तौर पर पूर्व छात्र थे, जिनके पास संकाय की भूमिका के लिए आवश्यक योग्यताएं नहीं थीं।
उन्होंने कहा कि जब छात्रा ने संस्थान छोड़ने का फैसला किया, तो अन्य छात्राओं ने यह कहते हुए अपनी लाचारी जताई कि उनके पास कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने दावा किया कि ऐसे संकेत मिले हैं कि पूर्व अध्यक्ष और उसके करीबी सहयोगियों द्वारा छात्राओं को परेशान किया गया, डराया-धमकाया गया।
उन्होंने कहा, ‘एक मामले में, चोटिल हुई एक छात्रा, जिसने अपनी मेडिकल रिपोर्ट चैतन्यानंद के साथ साझा की थी, ने बताया कि उसे अश्लील और अनुचित संदेश भेजे गए थे।’
स्वयंभू धर्मगुरु के बारे में पूछे जाने पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सहमति जताई कि चैतन्यानंद ने अपने परिचित लोगों को विभिन्न पदों पर नियुक्त किया था और वहां उसके निर्णय अंतिम होते थे।
चैतन्यानंद के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि यह मामला भारतीय वायुसेना के एक ग्रुप कैप्टन द्वारा भेजे गए ईमेल के बाद सामने आया।
संस्थान ने प्रेस को जारी एक बयान में एक अगस्त को ईमेल प्राप्त होने की बात स्वीकार की और पुष्टि की कि पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ शिकायतों की औपचारिक रूप से रिपोर्ट कर दी गई है।