इस्लामाबाद: 31 मई (ए)।
बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा स्थित कमांड एवं स्टाफ कॉलेज में सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए शरीफ भारत के साथ चार दिन तक टकराव के बारे में बात कर रहे थे। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने कार्रवाई की जिसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव हुआ।
प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान की सशस्त्र सेना ‘‘हमारी संप्रभुता और अखंडता की संरक्षक हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने पहलगाम की आड़ में आक्रमण का प्रयास किया, लेकिन पाकिस्तान ने न केवल इसका जवाब दिया, बल्कि स्थिति का रुख भी मोड़ दिया।’’
भारत ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में छह मई की देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल जैसी लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल करके पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। हमले के बाद चार दिन तक सैन्य टकराव हुआ। दोनों देशों के बीच दस मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।
शरीफ ने यह भी कहा कि जब भारत ने छह-सात मई की दरम्यानी रात हमला किया तो पाकिस्तान ने जमीन और हवाई क्षेत्र में करारा जवाब दिया। उन्होंने दावा किया, ‘‘पाकिस्तानी वायुसेना ने भारतीय विमानों को मार गिराकर और दुश्मन की सात बेहद मूल्यवान परिसंपत्तियों को निशाना बनाकर अपनी पेशेवर क्षमता दिखाई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर ने अपनी योग्यता साबित की, जबकि आर्मी चीफ असीम मुनीर ने ऐतिहासिक जीत हासिल की, जिससे एक योग्य फील्ड मार्शल के रूप में उनकी प्रतिष्ठा मजबूत हुई।’’
भारत ने 10 मई को तड़के बड़े पैमाने पर जवाबी हमले करते हुए पाकिस्तान के कई प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। इससे पिछली रात पड़ोसी देश ने भारतीय ठिकानों को निशाना बनाने का प्रयास किया था।
भारत का कहना है कि 10 मई को, भारत के भीषण हमलों ने पाकिस्तान को सैन्य कार्रवाई रोकने की गुहार लगाने पर मजबूर कर दिया।
शहबाज शरीफ ने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान भारत को सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को एकतरफा स्थगित करने की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने कहा कि पानी को देश के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के तुरंत बाद भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने के साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदमों की घोषणा की थी। संधि पर 1960 में दोनों देशों ने अपने बीच जल विवाद को सुलझाने और सिंधु बेसिन की छह मुख्य नदियों के पानी को साझा करने के लिए हस्ताक्षर किए थे।
एक दिवसीय दौरे पर क्वेटा आए प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार और जनता देश की संप्रभुता की रक्षा में सशस्त्र बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।
पाकिस्तान के संकल्प की पुष्टि करते हुए शरीफ ने आगाह किया कि भविष्य में भारत के किसी भी दुस्साहस का दृढ़ और सशक्त जवाब दिया जाएगा।
संस्थान में विदेशी मेहमानों का स्वागत करते हुए शरीफ ने कहा कि उनकी उपस्थिति मित्र देशों के साथ पाकिस्तान के मजबूत संबंधों को दर्शाती है।
बाद में क्वेटा में ग्रैंड जिरगा (कबीलाई बुजुर्गों की परिषद) को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने न केवल भारत को हराया बल्कि 1971 का बदला भी लिया।
शरीफ 1971 में बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में हुए मुक्ति संग्राम का जिक्र कर रहे थे, जब इस्लामाबाद ने हार स्वीकार कर ली थी।