नयी दिल्ली: पांच अगस्त ( ए) उच्चतम न्यायालय ने कई करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाला मामले में दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) कंपनी के पूर्व प्रवर्तक धीरज वधावन को दी गई जमानत मंगलवार को रद्द कर दी।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मेडिकल बोर्ड द्वारा दायर रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह आदेश पारित किया और वधावन को दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।दिल्ली उच्च न्यायालय ने वधावन के स्वास्थ्य के आधार पर नौ सितंबर, 2024 को जमानत देते हुए कहा था कि वह एक “बीमार व्यक्ति” के मापदंडों के अंतर्गत आते हैं।
न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेष्ण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिका पर यह आदेश जारी किया।
उक्त मामले में एजेंसी की पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने पहले कहा था कि वधावन को कोई गंभीर बीमारी नहीं थी तथा मामले में भारी मात्रा में धन की हेराफेरी की गई थी।
इस मामले में भाइयों कपिल वधावन और धीरज वधावन को जुलाई 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
एजेंसी ने अक्टूबर 2022 में इस मामले में आरोपपत्र दायर किया था जिसके बाद एक अदालत ने इसका संज्ञान लिया।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनी डीएचएफएल के उस समय के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक कपिल वधावन, तत्कालीन निदेशक धीरज वधावन और अन्य आरोपियों ने आपराधिक साजिश रचकर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के समूह से धोखाधड़ी की थी। इस साजिश के तहत आरोपियों ने बैंकों के इस समूह को बहकाकर कुल 42,871.42 करोड़ रुपये का भारी-भरकम ऋण मंजूर करवा लिया था।सीबीआई ने दावा किया कि डीएचएफएल के खातों में कथित रूप से हेराफेरी करके तथा बैंकों के समूह के वैध बकाये के भुगतान में बेईमानी की गई और अधिकांश राशि का गबन किया गया।