Site icon Asian News Service

यूपीएससी परीक्षा के अतिरिक्त अवसर को लेकर दायर याचिका उच्चतम न्यायालय ने खारिज की

Spread the love

नयी दिल्ली, 24 फरवरी (ए) उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल कोविड-19 महामारी के कारण यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के आखिरी प्रयास में शामिल नहीं हो पाने वाले छात्रों की उन्हें एक और मौका दिए जाने के अनुरोध वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर के नेतृत्व वाली पीठ ने यूपीएससी सिविल सेवा के अभ्यर्थियों की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया ,जिसमें उन्होंने वैश्विक महामारी के कारण अक्टूबर 2020 में सिविल सेवा परीक्षा का आखिरी अवसर गंवाने वाले छात्रों को एक और मौका दिए जाने का अनुरोध किया गया था। इन अभ्यर्थियों ने याचिका में महामारी के कारण परीक्षा की तैयारियों में मुश्किलों का हवाला दिया था।

केन्द्र ने नौ फरवरी को शीर्ष अदालत से कहा था कि वह अपना आखिरी मौका गंवाने वाले छात्रों समेत अभ्यर्थियों को एक बार उम्र सीमा में छूट के खिलाफ है। ऐसे छात्रों को इस साल एक और मौका देने से दूसरे उम्मीदवारों के साथ भेदभाव होगा।

सामान्य श्रेणी के छात्र 32 साल की उम्र तक छह बार यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा दे सकते हैं, ओबीसी श्रेणी के छात्र 35 साल की उम्र तक नौ बार और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्र 37 साल की उम्र तक जितनी बार चाहे उतनी बार परीक्षा दे सकते हैं।

केन्द्र शुरुआत में अतिरिक्त मौका देने के पक्ष में नहीं था, लेकिन बाद में उसने पीठ के सुझाव पर ऐसा किया।

उसने पांच फरवरी को कहा कि 2020 में परीक्षा के अपने आखिरी अवसर का इस्तेमाल करने वाले छात्रों को इस साल एक और मौका मिलेगा बशर्ते वे आयुसीमा की शर्त को पूरा करते हों।

पीठ ने हालांकि बुधवार को रचना और अन्य की याचिका खारिज कर दी।

सुनवाई के दौरान केन्द्र ने देश में सिविल सेवा परीक्षा शुरू होने के बाद से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा दी गई छूट के संबंध में विस्तृत जानकारी न्यायालय को दी थी और बताया कि वर्ष 1979, 1992 और 2015 में परीक्षा पैटर्न में बदलाव के कारण अभ्यर्थियों को छूट दी गई थी।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 30 सितम्बर को, देश के कई इलाकों में बाढ़ और कोविड-19 महामारी की वजह से यूपीएससी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा टालने का अनुरोध स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया था।

Exit mobile version