नयी दिल्ली: 10 नवंबर (ए)
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के साथ-साथ राज्य बार काउंसिल में विश्वास की कमी है और इसलिए प्रक्रिया की देखरेख के लिए प्रत्येक राज्य में उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र चुनाव समिति नियुक्त की जाएगी।वरिष्ठ अधिवक्ता एवं बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि यदि बार निकायों के चुनाव कराने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है तो काउंसिल को कोई आपत्ति नहीं है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘‘राज्य बार काउंसिल या बार एसोसिएशन के चुनाव दुनिया के सबसे कठिन चुनाव हैं।’’ उन्होंने मिश्रा से कहा कि वे विभिन्न राज्यों के चुनावों की अधिसूचना यथाशीघ्र जारी करें।
मिश्रा ने कहा कि पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल के चुनावों की अधिसूचना सोमवार को जारी की जाएगी और सात राज्यों के लिए तारीखें इसी सप्ताह जारी कर दी जाएंगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने कहा कि अदालत के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नौ अक्टूबर को दिल्ली बार काउंसिल ने चुनाव की तारीखों की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन 10 अक्टूबर को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निकाय को भंग करने का नोटिस जारी कर दिया गया।
इस पर मिश्रा ने कहा कि वे चाहते हैं कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को चुनाव प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाए और चुनाव उनकी इच्छा के अनुसार कराए जाएं।
पीठ ने दीवान से कहा कि बीसीआई को चुनाव प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जा सकता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए वह सभी बार काउंसिल चुनावों के लिए स्थानीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति करेगी।
उच्चतम न्यायालय ने 31 अक्टूबर को बीसीआई को पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल के चुनावों की अधिसूचना 10 दिनों के भीतर जारी करने और 31 दिसंबर तक चुनाव कराने का निर्देश दिया था।
उसने बीसीआई को 31 जनवरी, 2026 तक उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चुनाव कराने और मतदाताओं की वास्तविक शिकायतों का समाधान करने का भी निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने यह निर्देश तब दिया जब उसे बताया गया कि पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल के चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं की गई है और उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची वेबसाइट पर अपलोड नहीं की जा रही है।
उच्चतम न्यायालय ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) रूल्स, 2015’ के नियम 32 को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो बीसीआई को अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत निर्धारित वैधानिक सीमाओं से परे राज्य बार काउंसिल के सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार देता है
