अदालत के 2015 में दिये आदेश के बावजूद महिला को सेवा लाभ न देने पर सरकार को फटकार लगाई

उत्तर प्रदेश लखनऊ
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लखनऊ: 30 जुलाई (ए)) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य के सिंचाई विभाग में कार्यरत एक महिला कर्मचारी को लगभग 10 साल पहले जारी आदेश के बावजूद सेवा लाभ का भुगतान न करने के लिए फटकार लगाई।

न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों के रवैये के कारण महिला कर्मचारी वास्तव में भुखमरी की स्थिति में पहुंच गई थी।

पीठ ने एक विशेष अपील को खारिज करते हुए राज्य सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

आदेश के अनुसार, “राज्य सरकार की ओर से पूर्व में दिये गये फैसले का पालन न करने में गंभीर चूक हुई है और पेंशन संबंधी लाभों का भुगतान न करने से महिला कर्मचारी को भारी वित्तीय नुकसान हुआ और वह भुखमरी की स्थिति में पहुंच गई, जिसकी भरपाई जुर्माने के रूप में की जानी चाहिए।”

सिंचाई विभाग में कार्यरत शकीला बानो को उनकी जन्मतिथि से संबंधित विवाद के कारण 2011 से वेतन नहीं दिया जा रहा था।

अदालत की एक खंडपीठ ने 26 अगस्त, 2015 को बानो की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह पाया कि याचिकाकर्ता की जन्मतिथि 17 जुलाई, 1962 है और निर्देश दिया कि उन्हें तदनुसार सेवा लाभ दिए जाएं।

इस आदेश के बावजूद, बानो को भुगतान नहीं किया गया।

बानो को 31 जुलाई, 2022 को सेवानिवृत्त होना था लेकिन 23 जनवरी, 2022 को उनकी मौत हो गई।

इसके बाद उनके बेटे मुख्तार अहमद ने उच्च न्यायालय का रुख किया और अदालत ने तीन मार्च, 2025 को 26 अगस्त, 2015 के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि उन्हें सभी लाभ दिए जाने चाहिए, जैसा कि पहले तय किया गया था।

एकल पीठ के इस आदेश के खिलाफ सिंचाई विभाग ने विशेष अपील दायर की।

पीठ ने सिंचाई विभाग की अपील को खारिज करते हुए बुधवार को कहा, “राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए आधारों में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और इस अपील में दम नहीं है, इसलिए इसे अस्वीकार किया जाता है।”