प्रयागराज: 14 जून (ए)।
मेसर्स मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर रिट याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने चार अक्टूबर, 2023 को जारी लाइसेंस निलंबन का आदेश खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता सुधारात्मक और निवारक कार्रवाई की प्रक्रिया लागू करने के बाद उज्बेकिस्तान की विभिन्न अदालतों द्वारा पारित आदेशों की प्रमाणित प्रतियां और एक रिपोर्ट उत्तर प्रदेश औषधि लाइसेंसिग एवं नियत्रण प्राधिकरण और भारत के औषधि महानियंत्रक के पास जमा करेगा।
लाइसेंस रद्द करने का आदेश खारिज करते हुए अदालत ने कहा, “यह देखकर आश्चर्य होता है कि भारतीय अधिकारी उज्बेकिस्तान गणराज्य के उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के आधार पर भारतीय कानून के तहत अपनी कार्रवाई को वैध ठहराने का प्रयास कर रहे हैं।”
उच्च न्यायालय ने कहा, “दवाओं से जुड़े भारतीय कानून अपने आप में संपूर्ण और आत्मनिर्भर संहिता हैं जिन्हें एक विदेशी अदालत द्वारा पारित निर्णय से किसी वैधता की आवश्यकता नहीं है। याचिकाकर्ता के फैक्टरी परिसर का सरकारी विश्लेषकों द्वारा जांच की गई है।”
अदालत ने कहा, “संबंधित अधिकारियों ने दवा कंपनी की फैक्टरी में विनिर्माण प्रक्रिया और दवाओं की गुणवत्ता के साथ ही कानूनी आवश्यकताओं का गहराई से परीक्षण किया है।”
अदालत ने 19 मई के अपने निर्णय में कहा, “दवाओं की गुणवत्ता को लेकर उज्बेकिस्तान की अदालतों के निर्णय में इसे उपयोग के लिए अनुचित पाए जाने संबंधी कुछ टिप्पणियों को छोड़कर कुछ खास नहीं पाया गया। इस तरह से अधिकारियों का आदेश अवैध और कानून के तहत अवांछित है।”
याचिकाकर्ता की विनिर्माण इकाई गौतम बुद्ध नगर जिले के सेक्टर 67 में है। उज्बेकिस्तान में वर्ष 2022 में इस कंपनी द्वारा तैयार सिरप पीने से 15 बच्चों की मृत्यु होने की सूचना पर केंद्र और राज्य के औषधि अधिकारियों की एक संयुक्त जांच टीम ने फैक्टरी परिसर का कई बार निरीक्षण किया था और जांच एवं विश्लेषण के लिए दवाओं के नमूने लिए थे।
बाद में इन अधिकारियों ने नमूने गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं पाए और 13 मार्च, 2023 को आदेश जारी कर कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया।