नयी दिल्ली: 30 मई (ए)।
उन्होंने बताया कि समिति को कुछ ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे संकेत मिलता है कि 15 मई को आग लगने की घटना के बाद स्टोर रूम से जली हुई नकदी हटाई गई थी।
इस महीने की शुरुआत में, भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने समिति की रिपोर्ट और न्यायमूर्ति वर्मा से प्राप्त जवाब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में साझा किए थे।
सूत्रों ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य समेत विभिन्न सबूतों पर विचार करने वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आरोप इतने गंभीर हैं कि न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने की कार्यवाही शुरू की जा सकती है।
समिति ने साक्ष्यों का विश्लेषण करने के साथ साथ दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा तथा दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख समेत 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए हैं, जो 14 मार्च को रात 11:35 बजे नयी दिल्ली के लुटियंस इलाके में न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में शामिल थे।