नयी दिल्ली: 18 सितंबर (ए)
न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुईयां की पीठ बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुशासन समिति के उस फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने इस मुद्दे पर विचार किया था।
न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुईयां की पीठ बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुशासन समिति के उस फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने इस मुद्दे पर विचार किया था।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के परीक्षा नियंत्रक की ओर से जारी एक पत्र पर संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया था कि अधिवक्ता की मार्कशीट और बीकॉम की डिग्री ‘जाली है और विश्वविद्यालय द्वारा जारी नहीं की गई है।’
इसके बाद, न्यायालय ने वकील को उन डिग्रियों की फोटोकॉपी पेश करने का निर्देश दिया, जिनमें उसने वाणिज्य और कानून में स्नातक होने का दावा किया था।
अधिवक्ता ने मगध विश्वविद्यालय द्वारा अगस्त 1991 में आयोजित तीन वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम की वाणिज्य स्नातक (प्रतिष्ठा) परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए जारी की गई डिग्री की एक फोटोकॉपी दाखिल की।
वकील ने दावा किया कि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड फाड़ दिए गए हैं और इसलिए, उपलब्ध दस्तावेजों से डिग्री की पुष्टि संभव नहीं हो सकती है।
पीठ ने 15 सितंबर को कहा, ‘‘हम केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, दिल्ली से जांच कर यह पता लगाना उचित समझते हैं कि याचिकाकर्ता की ओर से मगध विश्वविद्यालय से वर्ष 1991 में बी.कॉम परीक्षा उत्तीर्ण करने की जो डिग्री पेश की गई है, वह असली है या नकली।’’पीठ ने सीबीआई को इस मामले की जांच के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने और तीन नवंबर तक या उससे पहले रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।