नई दिल्ली, 30 मई (ए)। देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के हालात इधर भले ही ठीक होते नजर आ रहे हों, लेकिन तीसरी लहर को लेकर आईआईटी दिल्ली द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने एक बार फिर सबकी चिंता बढ़ा दी है।
रिपोर्ट के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर के दौरान दिल्ली में स्थिति इतनी बिगड़ सकती है कि प्रतिदिन 45000 मामले सामने आ सकते हैं। ऐसे में रोजाना करीब 9000 लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी। दिल्ली को इसके लिए तैयार रहना होगा।
दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर ऐसी स्थिति आती है तो इससे निपटने के लिए शहर में अस्पतालों और रीफिलिंग के लिए मिलाकर प्रतिदिन 944 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ेगी।
मालूम हो कि तीसरी लहर की आशंका के बीच दिल्ली में बचाव की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। ऑक्सीजन की कमी न हो इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। आईआईटी दिल्ली राजधानी में ऑक्सीजन की मूलभूत आपूर्ति और प्रबंधन को लेकर दिल्ली सरकार के साथ मिलकर जरूरतों पर काम कर रही है। सरकार के साथ मिलकर बुनियादी ढांचे के रणनीतिक मुद्दों का विश्लेषण करके खाका तैयार किया जा रहा है।
इससे पहले उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को यह बताने के लिए कहा था कि आक्सीजन वितरण को लेकर आईआईटी दिल्ली द्वारा तैयार ब्लू प्रिंट को लागू करने के लिए सुझाए गए उपायों को कब तक लागू किया जाएगा। न्यायालय ने इसके लिए सरकार को चार सप्ताह का वक्त दिया है।
जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की पीठ ने कहा था कि चूंकि संक्रमण की दर कम हो रही है इसलिए हमें अभी आराम करने के मोड में नहीं आना चाहिए। पीठ ने कहा था कि हमें अभी भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए समुचित व त्वरित कदम उठाते रहने चाहिए।
इस पर दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा था कि हमारे में अधिकारी युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं और हम आराम के मोड में नहीं हैं। पीठ के आदेश पर कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से राजधानी में किसी मरीज की मौत नहीं हो, इसके लिए आईआईटी दिल्ली ने सरकार के आग्रह पर ब्लू प्रिंट तैयार किया है। ब्लू प्रिंट उच्च न्यायालय में भी सरकार ने पेश किया।